‘अब मैं नकारात्मक मानसिकता से बाहर आ गई हूं’: नीना गुप्ता ने अपनी आत्मकथा के बारे में कहा

By भाषा | Published: June 14, 2021 04:15 PM2021-06-14T16:15:36+5:302021-06-14T16:15:36+5:30

'Now I am out of negative mindset': Neena Gupta on her autobiography | ‘अब मैं नकारात्मक मानसिकता से बाहर आ गई हूं’: नीना गुप्ता ने अपनी आत्मकथा के बारे में कहा

‘अब मैं नकारात्मक मानसिकता से बाहर आ गई हूं’: नीना गुप्ता ने अपनी आत्मकथा के बारे में कहा

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मुंबई, 14 जून विख्यात अभिनेत्री और निर्देशक नीना गुप्ता ने सोमवार को कहा कि उनकी आत्मकथा “सच कहूं तो” में उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन और पेशेवर उतार चढ़ाव के बारे में ईमानदारी से लिखा है।

‘रैंडम हॉउस इंडिया’ द्वारा प्रकाशित यह आत्मकथा गुप्ता के जीवन के कई पड़ावों को टटोलती है जिसमें परंपरा से हटकर मां बनना, अकेले अपनी संतान की परवरिश करना और बॉलीवुड में सफलतापूर्वक वापसी करना शामिल है।

किताब का विमोचन करने वाली करीना कपूर खान के साथ इंस्टाग्राम पर वीडियो चैट के दौरान गुप्ता ने कहा कि वह 20 साल से अपनी जीवनी लिख रही थीं और हमेशा यह सोचती थीं कि लोग उनके बारे में पढ़ना पसंद करेंगे या नहीं। उन्होंने कहा, “मैं शुरू करती थी और सोचती थी, ‘मेरी जिंदगी के बारे में लिखने को क्या है?’ लोग मेरे बारे में पढ़ना क्यों चाहेंगे? फिर लॉकडाउन हो गया… और मैंने अपने जीवन के बारे में बहुत सोचा और फिर से लिखने का निर्णय लिया।”

गुप्ता ने कहा, “अब मैं नकारात्मक मानसिकता से बाहर आ गई हूं और लोगों को बताना चाहती हूं। जो चीजें मैंने इतने सालों से छुपा कर रखी थीं। यह राहत की बात है। मुझे लगता है कि किताब पढ़ने के बाद यदि एक व्यक्ति भी इन गलतियों को न करे जो मैंने की, अगर उन्हें लगे कि ‘हां हमें यह नहीं करना चाहिए’, तो यह किताब लिखना सार्थक हो जाएगा।”

कपूर खान के कहा कि वह किताब को गुप्ता की गलतियों का दस्तावेज नहीं मानतीं बल्कि “पूरे मन से जी गई जिंदगी” के पहलुओं को सामने लाने की ईमानदार कोशिश है। प्रकाशक के अनुसार, किताब में गुप्ता (62) के जीवन की कहानी को “बिना किसी शिकायत के ईमानदारी” से पेश किया गया है और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से लेकर 1980 के दशक में बॉम्बे (मुंबई) आने तक के गुप्ता के सफर और अकेले एक संतान की परवरिश करने का चित्रण किया गया है।

अभिनेत्री ने कहा कि किताब लिखने के दौरान वह उत्तराखंड के मुक्तेश्वर में थीं जब महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप जारी था। गुप्ता और वेस्ट इंडीज के क्रिकेट खिलाड़ी विवियन रिचर्ड्स के बीच 1980 के दशक में प्रेम संबंध था। इसके बाद उनकी बेटी मसाबा में परवरिश दायित्व अकेले गुप्ता को निभाना पड़ा था जिसके लिए उन्हें मीडिया और प्रशंसकों से आलोचना झेलनी पड़ी थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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