तेजपुर (असम), 22 जनवरी ऑस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिक्रेट टीम की शानदार जीत और कोविड-19 के खिलाफ देश की जंग के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान की भावना की व्यापकता आज जगह नजर आ रही है और वह हर भारतवासी के जीवन का अहम हिस्सा बन गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान हर भारतवासी के जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के सर्वांगीण विकास में जुटी हुई है और विकास कार्यों से इस क्षेत्र में नयी संभावनाओं के द्वार खुले हैं।
प्रधानमंत्री ने डिजिटल माध्यम से ते़जपुर विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए छात्रों का आह्वान किया कि वे इन संभावनाओं का लाभ उठाए और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में योगदान दें।
उन्होंने कहा कि देश ने कोविड से लड़ाई के लिए अत्यधिक सक्रियता दिखाई और उचित समय पर उचित फैसले लिए। कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी लड़ाई के लिए देश के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्यकर्मियों की उन्होंने भूरि-भूरि प्रशंसा भी की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के काल में आत्मनिर्भर भारत अभियान हर किसी की शब्दावली का अहम हिस्सा हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अंदर वो घुल मिल गया है। हमारा पुरुषार्थ, हमारे संकल्प, हमारी सिद्धि, हमारे प्रयास ये सब हम अपने ईर्द-गिर्द महसूस कर रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हर चुनौती से निपटने का देश के युवाओं का अंदाज और देश का मिजाज कुछ हटकर है।
इस कड़ी में उन्होंने ऑस्ट्रलिया में भारतीय क्रिकेट टीम को मिली टेस्ट श्रृंखला में जीत का उदाहरण देते हुए कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद उन्होंने मैच में जीत हासिल की।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे युवा खिलाड़ियों ने चुनौतियों का सामना किया और समाधान तलाशे। कई खिलाड़ी घायल हो गए। कुछ खिलाड़ियों में अनुभव जरूर कम था लेकिन हौसला उतना ही बुलंद था। उनको जैसे ही मौका मिला, उन्होंने इतिहास बना दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्रिकेट के मैदान पर भारतीय क्रिकेट टीम के प्रदर्शन से हमें सीख मिलती है कि हमें अपनी क्षमता पर विश्वास होना चाहिए, सकारात्मक माइंडसेट (सोचने के तरीके) से काम करने पर रिजल्ट (परिणाम) भी सकारात्मक ही आता है। अगर आपके पास एक तरफ सेफ (सुरक्षित) निकल जाने का विकल्प हो और दूसरी तरफ मुश्किल जीत का विकल्प हो तो आपको विजय का विकल्प जरूर चुनना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि यदि जीतने की कोशिश में कभी-कभार असफलता भी हाथ लग गई तो इसमें कोई नुकसान नहीं है।
उन्होंने छात्रों से कहा, ‘‘रिस्क (जोखिम) लेने से, प्रयोग करने से डरना नहीं है। हमें प्रोएक्टिव (पहले से सतर्क) और निर्भीक होना पड़ेगा।’’
कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत समस्या के समाधान के लिए प्रयोग करने से भी नहीं डरता और बड़े स्तर पर काम करने से भी पीछे नहीं हटता।
उन्होंने कहा, ‘‘इस लड़ाई की शुरुआत में ऐसी आशंकाएं जताई गई थीं कि इतनी बड़ी आबादी वाला भारत, संसाधनों के अभाव में कोरोना से तबाह हो जाएगा। लेकिन भारत ने दिखाया कि, संकल्प और जज्बा आपके पास है तो संसाधन तैयार होते देर नहीं लगती।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने यही किया और हालात से समझौता करने की बजाय तेजी से फैसले लिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इसी का परिणाम है कि भारत वायरस से ज्यादा प्रभावी रूप से लड़ पाया। भारत में बने समाधानों से हमने वायरस के फैलाव को कम किया, अपने स्वास्थ्य संबंधी ढांचे को बेहतर किया। अब हमारे टीके से जुड़ी शोध और उत्पादन की क्षमता भारत के साथ-साथ दुनिया के अनेक देशों को सुरक्षा कवच का विश्वास दे रही है।’’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति का भी उल्लेख किया ओर कहा कि इसमें नूतन प्रौद्योगिकी, बहु विषयीय दृष्टिकोण और कौशल विकास पर ध्यान दिया गया है।
उन्होंने आशा प्रकट की कि तेजपुर विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति का लक्ष्य हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के सर्वांगीण विकास में जुटी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार आज जिस तरह नार्थ ईस्ट के विकास में जुटी है, जिस तरह संपर्क, शिक्षा और स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में काम हो रहा है, उससे आपके लिए अनेकों नई संभावनाएं बन रही हैं। इन संभावनाओं का पूरा लाभ उठाइये।’’
इस अवसर पर असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित थे।
दीक्षांत समारोह में 2020 में उत्तीर्ण 1218 छात्रों को डिग्री और डिप्लोमा प्रदान किए गए। डिग्री प्राप्त करने वालों में विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सर्वाधिक अंक पाने वाले 48 छात्रों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किया गया।
दीक्षांत समारोह कोविड-19 से बचाव के नियमों का पालन करते हुए आयोजित किया गया। केवल पीएचडी और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्र ही व्यक्तिगत रूप से डिग्री और पदक के लिए उपस्थित हुए जबकि अन्य छात्रों को डिजिटल माध्यम से डिग्री और डिप्लोमा प्रदान किए गए।
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