Highlightsतेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने उस साल पहले आईसीसी टी20 विश्व कप में जूनियर खिलाड़ियों को मौका देने का निर्णय किया।मैंने कहा था कि मैं दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नहीं जाऊंगा क्योंकि मैं तब कुछ चोटों से परेशान था।मैंने तब समझा कि वह क्या सोच रहा है, क्षेत्ररक्षण कैसे होना चाहिए और तमाम पहलुओं पर मैं बात करता था।
नई दिल्लीः सचिन तेंदुलकर को स्लिप में खड़े रहकर महेंद्र सिंह धोनी के क्रिकेटिया कौशल को अच्छी तरह से परखने का मौका मिला जिससे उन्हें लगा कि वह भारतीय कप्तानी के लिये तैयार हैं और 2007 में जब भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने उनसे सलाह मांगी तो इस स्टार बल्लेबाज ने इस विकेटकीपर का नाम सुझाया था।
तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने उस साल पहले आईसीसी टी20 विश्व कप में जूनियर खिलाड़ियों को मौका देने का निर्णय किया और बीसीसीआई ने तब मास्टर ब्लास्टर से कप्तानी के लिये अपनी पसंद बताने के लिये कहा था। तेंदुलकर ने हाल में संन्यास लेने वाले पूर्व भारतीय कप्तान के बारे में पीटीआई-भाषा को दिये गये साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊंगा कि यह कैसे हुआ हां लेकिन जब मुझसे (बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों ने) पूछा गया तो मैंने बताया कि मैं क्या सोचता हूं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि मैं दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर नहीं जाऊंगा क्योंकि मैं तब कुछ चोटों से परेशान था। लेकिन तब मैं स्लिप कॉर्डन में क्षेत्ररक्षण करता था और धोनी से बात करता रहता था और मैंने तब समझा कि वह क्या सोच रहा है, क्षेत्ररक्षण कैसे होना चाहिए और तमाम पहलुओं पर मैं बात करता था। ’’
मैंने उसकी मैच की परिस्थितियों के आकलन करने की क्षमता देखी
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैंने उसकी मैच की परिस्थितियों के आकलन करने की क्षमता देखी और इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके पास बहुत अच्छा क्रिकेटिया दिमाग है इसलिए मैंने बोर्ड को बताया कि मुझे क्या लगता है। धोनी को अगला कप्तान बनाया जाना चाहिए। ’’
तेंदुलकर ने कहा कि वह धोनी की हर किसी को अपने फैसले के लिये मना देने की क्षमता से वह प्रभावित थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जो कुछ सोच रहा था और उसकी जो सोच थी, वह काफी हद तक मिलती जुलती थी। अगर मैं आपको किसी बात के लिये मना लेता हूं तो हमारी राय एक जैसी हो जाएगी और धोनी के साथ यह बात थी। हम दोनों एक तरह से सोचते थे और इसलिए मैंने उनके नाम का सुझाव दिया। ’’
तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, लक्ष्मण, सहवाग, हरभजन और जहीर जैसे सीनियर क्रिकेटर शामिल थे
धोनी को 2008 में तब टेस्ट कप्तानी सौंपी गयी जबकि भारतीय टीम में तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान जैसे सीनियर क्रिकेटर शामिल थे। तेंदुलकर से पूछा गया कि धोनी सीनियर खिलाड़ियों को कैसे साथ लेकर चलते थे, उन्होंने कहा, ‘‘मैं केवल अपनी बात कर सकता हूं कि मेरी कप्तान बनने की कोई इच्छा नहीं थी। मैं आपसे यह कह सकता हूं कि मैं कप्तानी नहीं चाहता था और मैं टीम के लिये हर मैच जीतना चाहता था। ’’
उन्होंने कहा, ‘कप्तान कोई भी हो मैं हमेशा अपना शत प्रतिशत देना चाहता था। मुझे जो भी अच्छा लगता था मैं कप्तान के सामने उसे रखता था। फैसला कप्तान का होता था लेकिन उसके कार्यभार को कम करना हमारा कर्तव्य होता है।’
तेंदुलकर ने कहा, ‘अगर प्रत्येक खिलाड़ी अपनी भिन्न क्षमताओं से योगदान देता है तो कप्तान का भार कम हो जाता है। मुख्य विचार एक दूसरे की मदद करना था। जब 2008 में धोनी कप्तान बना तब मैं लगभग 19 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बिता चुका था। इतने लंबे समय तक खेलने के बाद मैं अपनी जिम्मेदारी को समझता था।’
धोनी के लिए हासिल करने के लिए बचा ही क्या था, संन्यास से एक युग का अंत हुआ: श्रीनिवासन
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीबाई) के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने मंगलवार को कहा कि दो बार के विश्व कप विजेता कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हासिल करने लिए कुछ नहीं बचा था और उनके संन्यास से एक ‘युग का अंत’ हो गया। धोनी क्रिकेट जगत में इकलौते कप्तान है जिन्होंने आईसीसी की सभी ट्राफियां जीती है।
उन्होंने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। वह हालांकि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में चेन्नई सुपरकिंग्स का नेतृत्व करना जारी रखेंगे, जिसने उनकी कप्तानी में तीन बार इस खिताब को हासिल किया है। श्रीनिवासन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ जब धोनी कहते हैं कि वह संन्यास ले रहे हैं तो यह एक युग के खत्म होने जैसा है। उनकी कप्तानी में भारत ने 2007 में टी20 विश्व कप जीता, 2011 में विश्व कप हासिल किया। इसके अलाव चैम्पियंस ट्राफी की सफलता भी है। वह एक उत्कृष्ट कप्तान, एक शानदार विकेटकीपर, एक आक्रामक बल्लेबाज रहे है। एक ऐसा खिलाड़ी जिसने पूरी टीम को प्रेरित किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ उसके लिए हासिल करने के लिए और क्या बचा था? हर खेलप्रेमी जानता है कि किसी समय वह संन्यास की घोषणा करेंगे। मुझे दुख है कि वह फिर से भारत के लिए मैदान में नहीं उतरेंगे, लेकिन इस बात की खुशी है कि वह चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के लिए खेलना जारी रखेंगे।’’
श्रीनिवासन ने कहा, ‘‘ वह क्रिकेट के मैदान में दिखेंगे। सीएसके अब वैश्विक ब्रांड है। लोग इस बात को लेकर खुश होंगे कि वह उनके कौशल को मैदान पर देख सकेंगे।’’ श्रीनिवासन ‘इंडिया सीमेंट्स’ के प्रमुख हैं, जिनके पास 2008 से 2014 तक सीएसके का स्वामित्व था। जब उनसे पूछा गया कि धोनी कब तब खेलेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘ मैं चाहूंगा कि वह हमेशा खेलें।’’