रिहाना, अन्य ने किया किसान प्रदर्शन का समर्थन, भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की

By भाषा | Updated: February 4, 2021 00:56 IST2021-02-04T00:56:40+5:302021-02-04T00:56:40+5:30

Rihanna, Others Support Farmer Demonstration, India Reacts Strongly | रिहाना, अन्य ने किया किसान प्रदर्शन का समर्थन, भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की

रिहाना, अन्य ने किया किसान प्रदर्शन का समर्थन, भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की

नयी दिल्ली, तीन फरवरी किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करने वाली अमेरिकी पॉप गायिका रिहाना के साथ बुधवार को कई प्रमुख हस्तियां एवं कार्यकर्ता भी आ गए, जिससे इस आंदोलन ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि, भारत ने उनकी टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह ‘‘ना तो सही हैं और ना ही जिम्मेदाराना है।’’

विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया अमेरिकी पॉप गायिका रिहाना और स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित कई मशहूर हस्तियों के भारत में किसानों के प्रदर्शन के बारे में की गई टिप्पणी के बाद आई है। मंत्रालय ने कहा कि प्रदर्शन के बारे में टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की जांच कर लेनी चाहिए।

वहीं, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने केंद्र के नये कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए परोक्ष रूप से नरेंद्र मोदी सरकार को चेतावनी दी कि अगर विवादित तीनों कानूनों के खिलाफ गतिरोध जारी रहता है, तो सरकार सत्ता खो सकती है।

मंत्रालय ने कहा है कि कुछ निहित स्वार्थी समूह प्रदर्शनों पर अपना एजेंडा थोपने का प्रयास कर रहे हैं और संसद में पूरी चर्चा के बाद पारित कृषि सुधारों के बारे में देश के कुछ हिस्सों में किसानों के बहुत ही छोटे वर्ग को कुछ आपत्तियां हैं।

इस घटनाक्रम के बाद शाह ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘कोई भी दुष्प्रचार भारत की एकता को डिगा नहीं सकता है ! कोई भी दुष्प्रचार भारत को नयी ऊंचाइयां छूने से रोक नहीं सकता है। ’’ वहीं, अक्षय कुमार, कंगना रनौत, अजय देवगन एवं करण जौहर सहित कई बॉलीवुड हस्तियों ने भी लोगों से दुष्प्रचार से दूर रहने का आह्वान किया।

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा किसान आंदोलन का समर्थन किए जाने का स्वागत करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि उन्होंने किसानों के हित के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार किसानों का दर्द नहीं समझ पा रही है।

एसकेएम 41 किसान संगठनों का साझा मंच है, जिसके तहत पिछले दो महीने से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है।

अमेरिकी पॉप गायिका रिहाना, स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी अभिनेत्री अमांडा केरनी, गायक जे सीन, डॉ जियस, पूर्व वयस्क फिल्मों के कलाकार मिया खलीफा, अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस सहित कई मशहूर हस्तियों ने भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है।

रिहाना पहली अंतरराष्ट्रीय हस्ती थी, जिन्होंने किसानों के प्रदर्शन का समर्थन किया था और दिल्ली की सीमा पर धरने के दौरान इंटरनेट सेवा बंद करने की आलोचना की थी।

रिहाना (32) के ट्विटर पर 10.1 करोड़ फॉलोअर हैं। रिहाना ने एक खबर साझा की थी, जिसमें कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद करने और किसानों के खिलाफ केन्द्र की कार्रवाई का जिक्र किया गया था।

उन्होंने इसके साथ ही सीएनएन की एक खबर टैग की जिसका शीर्षक था, ‘‘प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस में झड़प के बीच भारत ने नयी दिल्ली के आसपास इंटरनेट सेवा बंद की।’’

थनबर्ग ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘ हम भारत में किसानों के आंदोलन के प्रति एकजुट हैं।’’

थनबर्ग ने बुधवार को किए ट्वीट में कहा ‘‘ जिन लोगों को मदद चाहिए उनके लिए टूलकिट (सॉफ्टवेयर) साझा किया है।’’ यह टूलकिट उपयोगकर्ता को प्रदर्शन के समर्थन के तरीकों की विस्तृत जानकारी वाले दस्तावेज तक पहुंच उपलब्ध कराते हैं।

इन दस्तावेजों में ट्विटर पर प्रतिक्रिया देना, भारतीय दूतावासों के सामने प्रदर्शन आदि शामिल है, जिसे किसानों के समर्थन में करने का आह्वान किया गया है।

हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने कहा,‘‘ यह महज संयोग नहीं है कि अभी एक माह भी नहीं हुआ कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र (अमेरिकी संसद भवन) पर हमला हुआ और जब हम बात कर रहे हैं उस वक्त सबसे बड़े लोकतंत्र (भारत) पर हमला हो रहा है।’’

पेशे से वकील मीना हैरिस ने ट्वीट किया,‘‘ यह आपस में जुड़ा हुआ है। हम सब को भारत के इंटरनेट बंद करने और किसानों के प्रदर्शन पर अर्धसैन्य बलों की हिंसा पर आक्रोशित होना चाहिए।’’

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली की सीमा पर दो फरवरी की आधी रात तक इंटरनेट सेवा बाधित करने के आदेश में विस्तार नहीं किया गया है।

हालीवुड स्टार जॉन कूसैक जिन्होंने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन का समर्थन किया था ने वानेसा नकाटे के ट्वीट को रीट्वीट किया।

जलवायु परिवर्तन पर युगांडा की कार्यकर्ता वानेसा नकाटे ने भी किसानों के प्रदर्शन को समर्थन दिया है।

उन्होंने ट्वीट किया,‘‘ हमें भारत में हो रहे किसानों के प्रदर्शनों पर बात करनी चाहिए।’’

विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है , ‘‘ हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि इन प्रदर्शनों को भारत के लोकतांत्रिक आचार और राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में तथा संबंधित किसान समूहों से गतिरोध दूर करने के सरकार के प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।’’

मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों में कोई भी टिप्पणी करने की जल्दबाजी से पहले तथ्यों को परखा जाना चाहिए और मुद्दों के बारे में उपयुक्त समझ बनानी चाहिए ।

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘ खास तौर पर मशहूर हस्तियों एवं अन्य द्वारा सोशल मीडिया पर हैशटैग और टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाने की ललक न तो सही है और न ही जिम्मेदाराना होती है।’’

कृषि कानून का मुद्दा लोकसभा में भी उठा और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर अलग से बहस कराने की मांग की जिसकी वजह से कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने आन का मुद्दा बनाए बिना तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।

हरियाणा के जींद में प्रदर्शनकारी किसानों का शक्तिप्रदर्शन करते हुए राकेश टिकैत ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी की मांग दोहराई। उन्होंने परोक्ष रूप से मोदी सरकार को चेतावनी दी कि अगर प्रदर्शन जारी रहा तो उसकी सत्ता जा सकती है।

जींद के कंडेला गांव में किसान आंदोलन के समर्थन में महापंचायत में मंच पर जैसे ही भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पहुंचे तो भीड़ अधिक होने के कारण मंच टूट गया। मंच टूटते ही गुरनाम सिंह चढूनी और राकेश टिकैत नीचे आ गिर गए। हालांकि, इसमें किसी को चोट नहीं आई।

टिकैत ने कहा, ‘‘अबतक हमने ने बिल वापसी की बात की है। सरकार ध्यान से सुन ले कि आप क्या करोगे अगर युवा ‘ गद्दी वापसी’ का आह्वान कर दिया।’’

दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा गाजीपुर बॉर्डर पर किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं जिनमें से अधिकतर हरियाणा एवं पंलाब के हैं।

पुलिस द्वारा प्रदर्शन स्थल पर सुरक्षा उपायों की आलोचना करते हुए टिकैत ने कहा, ‘‘जब राजा भयभीत होता है तो वह किले की सुरक्षा बढ़ाता है।’’

उन्होंने कहा कि वह सड़क पर लगी कीलों पर खुद बिछ जाएंगे ताकि उसके ऊपर से अन्य जा सके।

टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन मजबूत हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से हमें खाप पंचायतों से समर्थन मिल रहा है, हम यह लड़ाई जीत कर रहेंगे।

प्रदर्शनकारियों के दिल्ली में प्रवेश को रोकने के मद्देनजर गाजीपुर की किलेबंदी बरकरार है, जहां सड़को पर कीलें लगाने के साथ साथ लोहे और कंक्रीट के अवरोधक लगाए हैं। साथ ही कंटीले तार भी लगाए गए हैं। इसके अलावा भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। किसान नेताओं का आरोप है कि प्रदर्शन स्थल ‘अंतरराष्ट्रीय सीमा’ की तरह लग रहे हैं।

सिंघू (दिल्ली-हरियाणा) बॉर्डर, गाजीपुर (दिल्ली-उत्तर प्रदेश) बॉर्डर, और टीकरी (दिल्ली-हरियाणा) बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन चल रहा है जहां गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद से सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और विभिन्न पाबंदियां लगाई गई हैं।

किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने पीटीआई-भाषा से कहा, " प्रदर्शन स्थल अंतरराष्ट्रीय सीमा जैसे दिख रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो कि हम पाकिस्तान से आए हैं। एक ओर वे (सरकार) हमसे बात करना चाहते हैं और दूसरी ओर वे (शहर से) हमारा संपर्क तोड़ने के लिए सबकुछ कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा, " यह सरकार की बेचैनी को दिखाता है।"

दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा और दिल्ली हरियाणा सीमा पर लौहे के भारी बैरिकेड के अलावा, कंक्रीट के खंड, खाई खोदना, रास्ता रोकने के लिए डीटीसी की बसों का इस्तेमाल करने जैसे उपाय किए गए हैं।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं प्रवक्ता संबित पात्रा ने कथित दुष्प्रचार एवं फर्जी कथानक की आलोचना की।

पात्रा ने कहा, ‘‘आज राहुल गांधी रह-रह कर विदेश जाते हैं। आज मैं बिल्कुल स्पष्टता के साथ बताता हूं और ये खुलासा भी होगा। ये यूं ही विदेश नहीं जाते हैं। वहां वह षड़यंत्र करते हैं। एंटी इंडिया एलीमेंट्स (भारत विरोधी तत्वों)के साथ मीटिंग (बैठक) करके ये प्रपंच रचते हैं। हिंदुस्तान को बदनाम करने के लिए.. हिंदुस्तान को विवादों में ढकेलने के लिए।’’

क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट किया, ''भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता। विदेशी शक्तियां दर्शक तो बन सकती हैं लेकिन प्रतिभागी नहीं। भारतीय, भारत को जानते हैं और भारत के लिये फैसला लेना चाहिये। एक देश के तौर पर एकजुट रहें।''

इस बीच, दिल्ली सरकार ने विभिन्न विभागों को दिए गए दिल्ली परिवहन निगम की बसों वापस लेने का फैसला किया है इससे प्रदर्शन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका है।

अधिकारी ने बताया कि डीटीसी की लो फ्लोर बसों का इस्तेमाल विभिन्न स्थानों पर पुलिस कर्मियों एवं अर्ध सैनिक बलों की तैनाती के लिए ले जाने ले आने में किया जाता था, लेकिन संबंधित विभागों को इन बसों को मुक्त करने का निर्देश दिया गया है।

अधिकारी ने बताया कि इस समय डीटीसी के बेड़े में 3,700 बसें हैं जिनमें से 10 प्रतिशत विशेष सेवा में हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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