रणजी ट्रॉफी खेल रहे इस खिलाड़ी पर टूटा दुखों का पहाड़, पहले नवजात बेटी और फिर पिता को खो दिया, लेकिन टीम का साथ नहीं छोड़ा

Ranji Trophy 2022: विष्णु सोलंकी के घर 10 फरवरी को बेटी ने जन्म लिया। वह अपने जीवन का नया अध्याय लिखने की तैयारी कर रहे थे लेकिन एक दिन बाद नवजात की अस्पताल में मौत हो गई।

By भाषा | Updated: February 28, 2022 14:27 IST2022-02-28T14:22:16+5:302022-02-28T14:27:49+5:30

Ranji Trophy 2022 Vishnu Solanki loss their newborn baby girl scored century his father's death and watched last rites video call 29-year old Baroda cricketer | रणजी ट्रॉफी खेल रहे इस खिलाड़ी पर टूटा दुखों का पहाड़, पहले नवजात बेटी और फिर पिता को खो दिया, लेकिन टीम का साथ नहीं छोड़ा

बड़ौदा के इस 29 वर्षीय क्रिकेटर ने दिखाया कि त्रासदी का सामना करने के मामले में वह करोड़ों में एक हैं।

Highlightsअगला मुकाबला तीन मार्च से हैदराबाद के खिलाफ खेलना है।विष्णु के पास शोक मनाने का पर्याप्त समय भी नहीं है। बच्ची को अपने हाथों में पहली बार पकड़ने की जगह उसका अंतिम संस्कार करना पड़ा।

Ranji Trophy 2022: विष्णु सोलंकी उन सैकड़ों घरेलू क्रिकेटरों में शामिल हैं जो प्रत्येक वर्ष काफी उत्साह के साथ रणजी ट्रॉफी में खेलने के लिए उतरते हैं लेकिन उनके राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने की उम्मीद काफी कम है। पिछले दो हफ्तों में हालांकि बड़ौदा के इस 29 वर्षीय क्रिकेटर ने दिखाया कि त्रासदी का सामना करने के मामले में वह करोड़ों में एक हैं।

काफी लोगों में अपनी नवजात बच्ची को गंवाने के बाद क्रिकेट के मैदान पर उतरने की हिम्मत नहीं होती। विष्णु ने ऐसा किया और फिर शतक भी जड़ा लेकिन इसके बाद उन्हें अपने पिता के निधन की खबर मिली और उन्होंने वीडियो कॉल पर अंतिम संस्कार देखा। यह विष्णु भगवान नहीं है, सिर्फ एक इंसान है जो जज्बे के साथ त्रासदी का सामना कर रहा है।

विष्णु के घर 10 फरवरी को बेटी ने जन्म लिया। वह अपने जीवन का नया अध्याय लिखने की तैयारी कर रहे थे लेकिन एक दिन बाद नवजात की अस्पताल में मौत हो गई। उस समय जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में मौजूद विष्णु अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए अपने गृहनगर निकल पड़े। उन्हें अपनी बच्ची को अपने हाथों में पहली बार पकड़ने की जगह उसका अंतिम संस्कार करना पड़ा।

वह बंगाल के खिलाफ बड़ौदा के पहले रणजी मैच में हिस्सा नहीं ले पाए। अगर विष्णु जरूरत के समय अपनी पत्नी के साथ रहते को किसी को कोई परेशानी नहीं होती लेकिन घरेलू क्रिकेटरों के लिए रणजी ट्रॉफी आजीविका कमाने का अहम जरिया है और पहले ही मुकाबलों में कटौती के साथ आयोजित हो रहे सत्र के मैच से बाहर रहने का मतलब है कि आय से वंचित रहना। विष्णु इसीलिए चंडीगढ़ के खिलाफ दूसरे मुकाबले के लिए कटक पहुंच गए। वह त्रासदी को भूलने का प्रयास कर रहे थे।

विष्णु ने इसके बाद शतक जड़ा। उन्होंने महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की याद दिलाई जो अपने पिता की मौत के बाद ब्रिस्टल पहुंच गए थे क्योंकि उनकी मां नहीं चाहती थी कि वह देश की सेवा से पीछे हटें। युवा विराट कोहली को कौन भूल सकता है जिन्होंने 97 रन की पारी खेली और अपने पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया।

विष्णु ने अपनी बेटी के निधन के बाद खेल पर एकाग्रता लगाई और 12 चौकों की मदद से 103 रन की पारी खेली जो उनकी मानसिक मजबूती को दर्शाता है। लेकिन यह विपदा ही काफी नहीं थी कि रविवार को रणजी मैच के अंतिम दिन विष्णु को मैनेजर से खबर मिली कि काफी बीमार चल रहे उनके पिता का उनके गृहनगर में निधन हो गया है।

बड़ौदा क्रिकेट संघ (बीसीए) के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘विष्णु के पास बेटी के निधन के बाद वापस नहीं लौटने का विकल्प था लेकिन वह टीम के लिए खेलने वाला खिलाड़ी है, वह नहीं चाहता था कि टीम को मझधार में छोड़ दे। यही उसे विशेष बनाता है।’’ बड़ौदा को अपना अगला मुकाबला तीन मार्च से हैदराबाद के खिलाफ खेलना है और विष्णु के पास शोक मनाने का पर्याप्त समय भी नहीं है।

वह अभी यह समझ भी नहीं पाए होंगे कि दो हफ्ते के भीतर बच्चे और पिता को गंवाने का गम क्या होता है। किसी को नहीं पता कि विष्णु को भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा या नहीं लेकिन जब बात जज्बे की आएगी तो वह शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल होंगे।

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