ICC World Cup खेल रहे क्रिकेटरों ने लौटाई जंग से तबाह इस देश की मुस्कान

बंदूक की गोलियों की आवाजें सुनाई दी तो लोग फिर एकबारगी आतंकवादी हमले की आशंका में सिहर उठे, लेकिन असल में क्रिकेटप्रेमी विश्व कप के अभ्यास मैच में अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर जीत का जश्न मना रहे थे।

By भाषा | Updated: May 31, 2019 16:11 IST2019-05-31T16:11:12+5:302019-05-31T16:11:12+5:30

ICC World Cup: Cricket replaced guns with roses in Afghanistan | ICC World Cup खेल रहे क्रिकेटरों ने लौटाई जंग से तबाह इस देश की मुस्कान

ICC World Cup खेल रहे क्रिकेटरों ने लौटाई जंग से तबाह इस देश की मुस्कान

Highlightsयुद्ध की विभीषिका झेल चुके इस मुल्क ने कितना लंबा सफर तय किया है।अफगानिस्तान के अधिकांश क्रिकेटरों ने पाकिस्तान में शरणार्थी शिविरों में रहकर क्रिकेट का ककहरा सीखा।

काबुल, 31 मई। पिछले सप्ताह काबुल में जब बंदूक की गोलियों की आवाजें सुनाई दी तो लोग फिर एकबारगी आतंकवादी हमले की आशंका में सिहर उठे, लेकिन असल में क्रिकेटप्रेमी विश्व कप के अभ्यास मैच में अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर जीत का जश्न मना रहे थे। उस रात पिस्तौल, शॉटगन और एके 47 से निकली आवाजों से पूरा आकाश गूंज उठा था। यह सिर्फ एक मैच में मिली जीत का जश्न नहीं था बल्कि जिंदगी और माहौल बदलने की खुशी थी। इस जीत ने यह बानगी भी पेश की कि युद्ध की विभीषिका झेल चुके इस मुल्क ने कितना लंबा सफर तय किया है।

काबुल के रहने वाले 18 बरस के बशीर अहमद ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान टीम अगर अच्छा खेलती है तो हम सभी के लिए यह फख्र का पल होगा।’’ यह जीत इसलिए भी खास थी, क्योंकि अपने मुल्क में सुरक्षा और आर्थिक परेशानियों को लेकर अफगान लोग पाकिस्तान को ही कसूरवार मानते हैं।

नजीर नासेरी ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘अपने दुश्मन नंबर एक को हराने की खुशी अलग ही है खासकर हमारे नायकों के लिए। आखिर हमने पाकिस्तान को हरा ही दिया।’’ अफगानिस्तान ने पिछले साल क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में आयरलैंड को हराकर विश्व कप में जगह बनाई थी। वह पहले मैच में शनिवार को ऑस्ट्रेलिया से खेलेगा। उसने पिछले साल एशिया कप में श्रीलंका और बांग्लादेश को हराया और भारत से टाई खेला।

विश्व कप से पहले हालांकि उसकी तैयारियां विवादों के घेरे में रही। अप्रैल में कप्तान असगर अफगान को हटाकर गुलबदिन नायब को कमान सौंपी गई, जिसकी काफी आलोचना भी हुई। इसके बाद रमजान के कारण अभ्यास करना मुश्किल हो गया था। अभी भी रोजे चल ही रहे हैं।

अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रवक्ता फरीद होटक ने कहा, ‘‘अफगान क्रिकेटर पूरे महीने रोजे रख रहे हैं। वे नमाज भी पढते हैं।’’ अफगानिस्तान के अधिकांश क्रिकेटरों ने पाकिस्तान में शरणार्थी शिविरों में रहकर क्रिकेट का ककहरा सीखा। तालिबानी भी क्रिकेट के मुरीद रहे हैं और उनके शासन में भी क्रिकेट खेलने की इजाजत थी।

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