(मोना पार्थसारथी)
नयी दिल्ली, 15 मार्च देश को 46 साल पहले हॉकी का एकमात्र विश्व कप दिलाने वाले सितारों को मलाल है कि इस दिन की अहमियत और भारत को यह सम्मान दिलाने वाले पूर्व खिलाड़ियों को भी मानों भुला दिया गया है ।
भारत ने 15 मार्च 1975 को कुआलालम्पुर में फाइनल में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 2 . 1 से हराकर एकमात्र विश्व कप जीता था ।
फाइनल में विजयी गोल करने वाले अशोक कुमार ने भाषा से बातचीत में कहा ,‘‘ हम राष्ट्रवाद की बात करते हैं और उस समय पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने वाली इस जीत को भूल गए हैं । सुबह से टीवी चैनल अभिनेत्री आलिया भट्ट के जन्मदिन पर विशेष कार्यक्रम दिखा रहे हैं लेकिन हॉकी की इस ऐतिहासिक जीत का कहीं कोई जिक्र नहीं ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ उस समय तो राष्ट्रवाद हॉकी से जुड़ा था क्योंकि हर जीत के बाद पूरा देश जश्न में डूब जाता था । विश्व कप की रेडियो कमेंट्री तक लोगों को आज तक याद है ।’’
उन्होंने कहा,‘‘ राज कपूर ने तो वानखेड़े स्टेडियम पर फिल्म जगत और विश्व कप विजेता टीम के बीच मैच भी कराया था जिसे देखने के लिये पूरा बॉलीवुड मौजूद था ।’’
मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ने कहा कि ओलंपिक 1936 के बाद सबसे ज्यादा प्रभावी कोई जीत थी तो वह 1975 विश्व कप खिताब था लेकिन आने वाली पीढी इसके महत्व को समझ ही नहीं सकेगी ।
उनकी बात से सहमति जताते हुए विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे ओलंपियन अशोक दीवान ने कहा कि यह जीत बहुत बड़ी थी क्योंकि वह भारत का पहला विश्व कप था और आज तक हॉकी में दूसरे विश्व कप का हम इंतजार कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा ,‘‘ निश्चित तौर पर हमें खलता है कि इस दिन उस टीम के सदस्य या हॉकी समुदाय के सदस्य ही एक दूसरे को बधाई देते रहते हैं । बाकी किसी को ख्याल भी नहीं है । ऐसा ही रहा तो आने वाली पीढी इसे कैसे याद रखेगी ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ यह हमारा पहला विश्व कप था । उस समय तो क्रिकेट में भी हम विश्व कप नहीं जीते थे । उस जीत को पूरा सम्मान मिलना ही चाहिये । हम उम्मीद करते हैं कि भारत 2023 विश्व कप जीते और उन लम्हों को हम दोबारा जी सकें ।’’
म्युनिख ओलंपिक (1972) के कांस्य पदक विजेता और मांट्रियल ओलंपिक (1976) की टीम में शामिल रहे वरिंदर सिंह ने कहा कि विश्व कप 1975 टीम के सभी सदस्यों ने तय किया था कि खुद ही सालाना इस दिन कोई आयोजन करेंगे लेकिन संभव नहीं हो पाया ।
उन्होंने कहा ,‘‘ आखिरी बार हम सब 2018 विश्व कप में भुवनेश्वर में एक सप्ताह साथ रहे थे ।पुरानी यादों को ताजा किया । नाश्ता , लंच , डिनर सब साथ में करते और मैच देखने भी साथ जाते थे । हमने तय किया था कि साल में एक बार इस दिन जरूर मिलेंगे लेकिन संभव नहीं हो पाया ।’’
सिंह ने कहा कि जिस तरह क्रिकेट बोर्ड ने पूर्व खिलाड़ियों को किसी न किसी रूप में जोड़े रखा है, उसी तरह हॉकी में भी होना चाहिये ।
उन्होंने कहा ,‘‘ आईपीएल की तरह हॉकी में भी लीग से उम्मीद बंधी थी जिससे नये पुराने खिलाड़ी जुड़े रह सकते थे लेकिन वह लीग बंद हो गई । हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में ऐसा कोई जरिया बनेगा कि नये पुराने खिलाड़ी मिलकर भारतीय हॉकी के लिये कुछ कर सकें।
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