कोलकाता, दो जनवरी भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को ‘हल्के’ दिल के दौरे के बाद शनिवार दोपहर अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उनकी हालत ‘स्थिर’ है। अस्पताल के अधिकारी ने यह जानकारी दी।
गांगुली की हालत स्थिर है और निजी वुडलैंड्स अस्पताल के डॉक्टर विचार कर रहे हैं कि उन्हें एंजियोप्लास्टी की जरूरत है या नहीं। वह 48 साल के हैं।
इस पूर्व बल्लेबाज का उपचार कर रहे डॉ. सरोज मंडल ने कहा, ‘‘उन्हें हल्का दिल का दौरा पड़ा था लेकिन उनकी हालत अब स्थिर है। उनके कई परीक्षण करने की जरूरत है। हम देख रहे हैं कि एंजियोप्लास्टी की जरूरत है या नहीं। साथ ही हमें देखना होगा कि गांगुली को स्टेंट लगाने की जरूरत है या नहीं।’’
गांगुली को अस्पताल की क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में भर्ती कराया गया है।
शुक्रवार शाम वर्कआउट सत्र के बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत दी और आज दोपहर दोबारा ऐसी समस्या के बाद परिवार के सदस्य उन्हें अस्पताल ले गए।
अस्पताल सूत्रों के अनुसार गांगुली के उपचार के लिए पांच डॉक्टरों की टीम का गठन किया गया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गांगुली के अस्पताल के भर्ती होने पर चिंचा जताई है।
ममता ने ट्वीट किया, ‘‘गांगुली को हल्का दिल का दौरा पड़ने और उनके अस्पताल में भर्ती होने की खबर सुनकर दुख हुआ। उनके जल्द और पूरी तरह से उबरने की कामना करती हूं। मेरी प्रार्थनाएं उनके और उनके परिवार के साथ हैं।’’
गांगुली को उस समय अस्पताल में भर्ती कराया गया है जब संभवत: इस साल अप्रैल-मई में होने वाले राज्य विधान सभा चुनावों से पहले उनके राजनीति में उतरने को लेकर अटकलें तेज हैं।
राज्य के राजनीतिक जगत से जुड़े लोगों के अनुसार गांगुली भारतीय जनता पार्टी से जुड़ सकते हैं। इस पूर्व बल्लेबाज ने हालांकि राजनीति में आने को लेकर कभी अपने इरादे जाहिर नहीं किए।
गांगुली को अक्टूबर 2019 में मुंबई में बीसीसीआई की आम सभा की बैठक के दौरान अध्यक्ष चुना गया जिसके साथ उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के 33 महीने के विवादास्पद कार्यकाल का अंत हुआ।
गांगुली बीसीसीआई के 39वें अध्यक्ष हैं। उन्होंने सीके खन्ना की जगह ली जो 2017 से बोर्ड के अंतरिम प्रमुख थे।
गांगुली का कार्यकाल शुरुआत में नौ महीने का था लेकिन वह और बोर्ड के सचिव जय शाह अपने पद पर बरकरार हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने अब तक बीसीसीआई की याचिका पर फैसला नहीं किया है जिसमें नए संविधान में संशोधन की मांग की गई है। नया संविधान लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुसार पदाधिकारियों की आयु और कार्यकाल को सीमित करता है।
यह पूर्व क्रिकेटर इससे पहले बंगाल क्रिकेट संघ में कई पदों पर रहा। वह 2014 में संघ के सचिव बने थे।
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