घरेलू क्रिकेट में केंद्रीय अनुबंध की मांग तेज

By भाषा | Published: June 2, 2021 05:49 PM2021-06-02T17:49:24+5:302021-06-02T17:49:24+5:30

Demand for central contract intensifies in domestic cricket | घरेलू क्रिकेट में केंद्रीय अनुबंध की मांग तेज

घरेलू क्रिकेट में केंद्रीय अनुबंध की मांग तेज

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(भरत शर्मा)

नयी दिल्ली, दो जून भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) जब कोविड-19 से जूझ रहे घरेलू क्रिकेटरों के लिए मुआवजा राशि आंकने और इसके वितरण का फार्मूला तैयार करने में व्यस्त है तब जयदेव उनादकट, शेल्डन जैकसन और हरप्रीत सिंह भाटिया जैसे अनुभवी घरेलू क्रिकेटरों की अगुआई में ऐसे खिलाड़ियों के लिए केंद्रीय अनुबंध की मांग तेज हो गई है।

पिछले महीने पूर्व भारतीय क्रिकेटर रोहन गावस्कर ने भी राज्य संघों से मांग की थी कि वे मैच फीस के इतर खिलाड़ियों को अनुबंध दें जैसे राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों को दिए जाते हैं।

अधिकतर घरेलू खिलाड़ियों को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलने का मौका नहीं मिलता है और उनके पास नौकरी भी नहीं होती और ऐसे में वे आजीविका के लिए मैच फीस पर निर्भर रहते हैं लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछला रणजी सत्र रद्द होने से उनकी कमाई काफी प्रभावित हुई है।

सौराष्ट्र के कप्तान और भारतीय क्रिकेटर जयदेव उनादकट को अनुबंध की सुरक्षा की जरूरत नहीं है लेकिन उनका मानना है कि राज्य के शीर्ष 30 खिलाड़ियों को अनुबंध दिया जाना चाहिए।

सौराष्ट्र को अपनी अगुआई में 2020 में पहला रणजी ट्रॉफी खिताब दिलाने वाले उनादकट ने पीटीआई से कहा, ‘‘महामारी से पहले ही केंद्रीय अनुबंधों को लेकर बात चल रही थी। यहां तक कि आयु वर्ग के क्रिकेटरों को भी क्रिकेट नहीं होने की भरपाई की जानी चाहिए, इससे वे प्रेरित रहेंगे और सीनियर खिलाड़ियों को अनुबंध दिए जाएं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी को अनुबंध नहीं दे सकते लेकिन शीर्ष 30 खिलाड़ियों को अनुबंध के लिए चुना जा सकता है। मुझे 30 खिलाड़ियों का पूल व्यावहारिक लगता है।’’ पूर्ण सत्र में एक घरेलू क्रिकेटर 15 से 16 लाख की कमाई कर सकता है लेकिन पिछले साल ऐसा नहीं हुआ जब 87 साल में पहली बार रणजी ट्रॉफी को रद्द करना पड़ा।

छत्तीसगढ़ के कप्तान हरप्रीत सिंह भाटिया उन घरेलू क्रिकेटरों को शामिल रहे जिन्हें महामारी के बीच ब्रिटेन में क्लब क्रिकेट खेलने का मौका मिला। वह 2017 से बार्न्सले वूली माइनर्स की ओर से खेल रहे हैं।

भाटिया ने कहा, ‘‘पिछले सत्र में मैं सीमित ओवरों के सभी 10 मैच खेला। स्पष्ट तौर पर यह पर्याप्त नहीं था। मुझे अतिरिक्त पैसे के लिए ब्रिटेन आना पड़ा। भारत में मेरे पास नौकरी नहीं है इसलिए अपनी कमाई में इजाफे के लिए मुझे इंग्लैंड आना पड़ता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर स्वदेश में मेरे पास केंद्रीय अनुबंध होता तो मेरा खेलने के लिए ब्रिटेन आना अनिवार्य नहीं होता। बीसीसीआई ने अतीत में सहयोग किया है और मुझे उम्मीद है कि इस मुश्किल समय में भी वे अच्छे मुआवजे के साथ हमारी मदद करेंगे और उम्मीद करते हैं कि राज्य संघों से अनुबंध मिलेंगे।’’

सितंबर तक ब्रिटेन में रहने वाले भाटिया ने कहा, ‘‘हमें यह ध्यान में रखते हुए नीति बनानी होगी कि अधिकांश खिलाड़ी आईपीएल नहीं खेलते और उनके पास नौकरियां भी नहीं हैं। और तब क्या होगा अगर मैं चोटिल हो जाऊं और पूरे सत्र में नहीं खेल पाऊं। यहीं पर अनुबंध और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।’’

इस सत्र में कोलकाता नाइट राइडर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले घरेलू क्रिकेट के एक अन्य अनुभवी खिलाड़ी शेल्डन जैकसन का मानना है कि महिला क्रिकेटरों को भी अनुबंध दिए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य संघों को अनुबंध देने चाहिए। इससे वे दर्शा सकते हैं कि वे अपने क्रिकेटरों की देखभाल करते हैं विशेषकर इस तरह के समय में। आपको नहीं पता कि कोविड महामारी कब तक चलेगी।’’

जैकसन ने कहा, ‘‘कम से कम खिलाड़ियों के पास सुरक्षा तो होगी कि वह ऐसे समय में अपने परिवारों का ख्याल रख सकते हैं और अपने जरूरी भुगतान कर सकते हैं। और सिर्फ पुरुष क्रिकेटर ही क्यों। महिला क्रिकेटरों को भी अनुबंध मिलने चाहिए।’’

बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अरूण धूमल पहले ही कह चुके हैं कि बोर्ड राज्य संघों के साथ मिलाकर मुआवजे के पैकेज पर काम कर रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर 29 मई को हुई आम सभा की विशेष बैठक में चर्चा नहीं हुई।

भारत का घरेलू सत्र अस्थाई रूप से सितंबर में शुरू होना है लेकिन यह देश में कोविड की स्थिति पर निर्भर करेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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