पटना,12 फरवरी। बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाडे के खुलासे के बाद हडकंप मच गया है। आनन-फानन में सरकार ने कार्रवाई भी की है और एक साथ कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कोरोना टेस्टिंग के मामले में बडी कार्रवाई करते हुए जमुई के सिविल सर्जन डॉ। विजयेंद्र सत्यार्थी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुधांशु लाल को निलंबित कर दिया है। इनके अलावा प्रतिरक्षण पदाधिकारी पर भी गाज गिरी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जमुई जिले के बरहट और सिकंदरा के प्रभारी को भी निलंबित किया गया है। जबकि 4 अस्पताल प्रबंधकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। आज यह मामला राज्यसभा में भी उठा। राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस मामले को सदन में उठाते हुए जांच की मांग की है। मनोज झा ने केंद्र सरकार से पूरे मामले की जांच की मांग की। राजद सांसद की मांग को जायज करार देते हुए राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने भी मामले को गंभीर बताया और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मामले की जांच करवाने का आग्रह किया। इसमें जमुई, शेखपुरा और पटना जिलों के सरकारी अस्पतालों में कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट में मरीजों के मोबाइल नंबर की जगह सिर्फ 0000000000 लिखा गया है।
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि कोविड मरीजों की पहचान और उनके सत्यापन का मुख्य जरिया मोबाइल ही था। कई स्वास्थ्य केंद्रों पर फर्जी डेटा भरकर राशि का गबन किए जाने का दावा मीडिया रिपोर्ट में किया गया है। सबसे ज्यादा गडबडी जमुई सदर में सामने आई है। बिना फोन नंबर के ही लोगों का कोविड टेस्ट कैसे किया गया।यहां पर मोबाइल नंबर की जगह 0200000000 लिखकर व्यवस्था में धूल झोंकी गई। कई स्वास्थ्य केंद्रों पर तो मोबाइल नंबर की एंट्री ही नहीं की गई।
जमुई में यह खुलासा हुआ कि कोरोना जांच में सिर्फ 10 अंकों के 0 नंबर का प्रयोग किया गया है। इसके बाद तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है। उन्होंने कोरोना जांच की संख्या को फर्जीवाडा कर बढ़ाने का आरोप लगाया था। तेजस्वी यादव ने कहा है कि मैंने पहले ही बिहार में कोरोना घोटाले की भविष्यवाणी की थी। जब हमने घोटाले का डेटा सार्वजनिक किया था तो मुख्यमंत्री ने हमेशा की तरह उसे नकार दिया था।
मुख्यमंत्री ने आंकड़े नहीं बदलने पर तीन स्वास्थ्य सचिवों का तबादला कर एंटीजेन का वो अमृत मंथन किया कि 7 दिनों में प्रतिदिन टेस्ट का आंकडा 10 हजार से 1 लाख और 25 दिनों में 2 लाख पार करा दिया। वहीं, कांग्रेस विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने राज्य में कोरोना जांच रिपोर्ट में हुए कथित फर्जीवाड़ा को चिंताजनक बताते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस मामले को आगामी बजट सत्र के दौरान वे विधान परिषद में उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर आरम्भ से ही हम लोग कहते रहे हैं कि कोविड जांच धीमी है तथा इसमें गड़बड़ी हो रही है।