नस्लवाद का पूर्ण सफाया असंभव, भाव प्रदर्शन औपचारिक नहीं होना चाहिए : होल्डिंग

By भाषा | Published: May 26, 2021 12:47 PM2021-05-26T12:47:42+5:302021-05-26T12:47:42+5:30

Complete elimination of racism is impossible, sentiment display should not be formal: Holding | नस्लवाद का पूर्ण सफाया असंभव, भाव प्रदर्शन औपचारिक नहीं होना चाहिए : होल्डिंग

नस्लवाद का पूर्ण सफाया असंभव, भाव प्रदर्शन औपचारिक नहीं होना चाहिए : होल्डिंग

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लंदन, 26 मई वेस्टइंडीज के अपने जमाने के दिग्गज तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग का मानना है कि नस्लवाद का पूरी तरह से सफाया असंभव है और उन्होंने कहा कि नस्ली भेदभाव के खिलाफ समर्थन जताने के लिये एक घुटने के बल बैठने का भाव प्रदर्शन औपचारिक नहीं होना ​चाहिए।

अफ्रीकी मूल के अमेरिकी जार्ज फ्लॉयड की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर होल्डिंग स्काई स्पोर्ट्स के कार्यक्रम 'द क्रिकेट शो' में बात कर रहे थे। फ्लॉयड की पिछले साल मिनेसोटा में एक श्वेत पुलिसकर्मी के हाथों मौत हो गयी थी।

होल्डिंग ने इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन और महिला अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इबोनी रेनफोर्ड ब्रेंट से पैनल चर्चा में कहा, '' नस्लवाद हमेशा रहेगा, नस्लवादी हमेशा रहेंगे। नस्लवाद से पूरी तरह से छुटकारा पाना यह कहने जैसा होगा जैसा कि आप अपराध से पूरी तरह निजात पाने जा रहे हो। यह असंभव है।''

उन्होंने कहा, ''आपके समाज में जितने कम अपराध होंगे, आपके समाज में नस्लवाद की जितनी कम घटनाएं होंगी दुनिया उतनी ही बेहतर होगी।''

होल्डिंग ने कहा कि घुटने के बल बैठने का भाव प्रदर्शन औपचारिक नहीं बल्कि वा​स्तविक होना चाहिए लेकिन वह लोगों को यह बताने में विश्वास नहीं करते कि उनकी पसंद क्या होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ''मैं लोगों का यह नहीं कहने जा रहा हूं कि उन्हें हर हाल में घुटने के बल बैठना ​चाहिए। मैं यहां लोगों को यह कहने के लिये नहीं आया हूं कि उन्हें क्या करना चाहिए। मैं नहीं चाहता कि लोग औप​चारिकतावश ऐसा करें। ''

अब ब्रि​टेन में रह रहे इस पूर्व कैरेबियाई दिग्गज ने कहा कि अश्वेत लोग अपने जीवन में किन चुनौतियों का सामना करते हैं इसे हर कोई नहीं समझ सकता है।

उन्होंने कहा, ''लोग यह नहीं समझते कि अपनी पूरी जिंदगी में इस तरह के दबाव में जीना कैसा होता है। कुछ लोग बातें करते हैं और यह भी नहीं जानते कि वे क्या कह रहे हैं या उसका अश्वेत लोगों पर क्या असर पड़ सकता है। यह कुछ ऐसा है जिसे वे कहने के आदी हो जाते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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