खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलना लोगों की इच्छा नहीं, बल्कि एक ‘‘राजनीतिक खेल’’ है : शिवसेना

By भाषा | Updated: August 9, 2021 14:57 IST2021-08-09T14:57:44+5:302021-08-09T14:57:44+5:30

Changing the name of Khel Ratna award is not a wish of the people, but a "political game": Shiv Sena | खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलना लोगों की इच्छा नहीं, बल्कि एक ‘‘राजनीतिक खेल’’ है : शिवसेना

खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलना लोगों की इच्छा नहीं, बल्कि एक ‘‘राजनीतिक खेल’’ है : शिवसेना

मुंबई, नौ अगस्त शिवसेना ने सोमवार को कहा कि राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर हॉकी के महान खिलाड़ी ध्यानचंद के नाम पर रखने का फैसला लोगों की इच्छा नहीं, बल्कि एक ‘‘राजनीतिक खेल’’ है।

पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में आज प्रकाशित एक संपादकीय पूछा कि क्रिकेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्या योगदान है, जो अहमदाबाद में स्टेडियम का नाम उनके नाम पर रखा गया है।

भारत में खेल जगत के सर्वोच्च सम्मान ‘खेल रत्न पुरस्कार’ का नाम पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर था जिसे तोक्यो ओलंपिक में पुरुष और महिला हॉकी टीम के सराहनीय प्रदर्शन के बाद शुक्रवार को बदलकर ‘हॉकी के जादूगर’ मेजर ध्यानचंद के नाम पर रख दिया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा था कि देशभर से नागरिकों ने उनसे खेल रत्न का नाम मेजर ध्यान चंद के नाम पर रखने का आग्रह किया था।

शिवसेना ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी आतंकवादी हमलों का शिकार हुए थे। नेताओं में राजनीतिक मतभेद हो सकता है, लेकिन देश के विकास के लिए उनके बलिदान का इस तरह मजाक नहीं उड़ाया जा सकता।

संपादकीय में कहा गया, ‘‘ राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर मेजर ध्यान चंद खेल रत्न करना लोगों की इच्छा नहीं , बल्कि एक राजनीतिक खेल है। मेजर ध्यानचंद का सम्मान, राजीव गांधी के बलिदान का अपमान किए बिना भी किया जा सकता था, लेकिन देश में इस तरह की परंपरा और संस्कृति समाप्त हो गई है। इससे ध्यानचंद भी स्वर्ग में दुखी हुए होंगे।’’

शिवसेना ने कहा कि मोदी सरकार के पुरस्कार का नाम बदलने का मतलब यह नहीं है कि पूर्ववर्ती सरकारों को ध्यानचंद का ध्यान नहीं था। यह ध्यानचंद के लिए सम्मान की बात नहीं है कि राजीव गांधी का नाम हटाकर उनके नाम का इस्तेमाल किया जाए।

संपादकीय में दावा किया गया, ‘‘ राजीव गांधी का नाम हटाना (पुरस्कार से) केवल राजनीतिक द्वेष है।’’

शिवसेना ने कहा कि भाजपा के कई नेताओं ने सवाल उठाया है कि क्या राजीव गांधी ने कभी हॉकी हाथ में भी ली थी।

इसने कहा, ‘‘ लोग यह भी पूछ रहे हैं कि नरेंद्र मोदी का क्रिकेट में क्या योगदान है, जो सरदार पटेल का नाम हटाकर अहमदाबाद स्टेडियम का नाम उनके (मोदी) नाम पर किया गया।’’

शिवसेना ने कहा कि ऐसा ही दिल्ली में किया गया, जहां फिरोज शाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर भाजपा नेता दिवंगत अरुण जेटली के नाम पर रखा गया है।

संपादकीय में कहा गया कि मोदी सरकार ओलंपिक में भारत की जीत का जश्न मना रही है, जबकि उसने खेल बजट में 300 करोड़ रुपये की कटौती की थी।

शिवसेना ने कहा कि जब ‘सहारा समूह’ ने पुरुष और महिला हॉकी टीमों का प्रायोजन वापस ले लिया, तो ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उनकी मदद की।

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