...तो क्या अब गेंद पर कृत्रिम पदार्थ लगाना होगा वैलिड, आईसीसी कर सकता है विचार

टेस्ट क्रिकेट में गेंद की चमक काफी अहम होती है क्योंकि इससे गेंदबाजों को गेंद स्विंग और रिवर्स स्विंग कराने में मदद मिलती है...

By भाषा | Updated: April 24, 2020 16:25 IST2020-04-24T16:25:47+5:302020-04-24T16:25:47+5:30

artificial things will have to be applied on the ball? ICC can consider | ...तो क्या अब गेंद पर कृत्रिम पदार्थ लगाना होगा वैलिड, आईसीसी कर सकता है विचार

...तो क्या अब गेंद पर कृत्रिम पदार्थ लगाना होगा वैलिड, आईसीसी कर सकता है विचार

कोरोना वायरस महामारी के कारण गेंदबाज अब क्रिकेट गेंद पर थूक नहीं लगा सकेंगे लिहाजा उसे चमकाने के लिये कृत्रिम पदार्थ के इस्तेमाल की अनुमति देने पर विचार किया जा सकता है। इसे दूसरे शब्दों में गेंद से छेड़खानी भी कह सकते हैं। 

ईएसपीएन क्रिकइन्फो’ की रिपोर्ट के अनुसार प्रशासक अंपायरों की निगरानी में गेंद को चमकाने के लिये कृत्रिम पदार्थ के इस्तेमाल की अनुमति देने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। खेल के नियमों के तहत हालांकि ये गेंद से छेड़खानी के दायरे में आता है।

टेस्ट क्रिकेट में गेंद की चमक काफी अहम होती है क्योंकि इससे गेंदबाजों को गेंद स्विंग और रिवर्स स्विंग कराने में मदद मिलती है। अगर इस विकल्प को मंजूरी मिल जाती है तो यह बड़ी विडंबना होगी क्योंकि गेंद पर रेगमाल रगड़ने की कोशिश में ही स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर को 2018 में एक साल का प्रतिबंध झेलना पड़ा था। 

आईसीसी मुख्य कार्यकारियों की गुरूवार को हुई आनलाइन बैठक के बाद इसकी चिकित्सा समिति के प्रमुख पीटर हारकोर्ड ने अपडेट जारी किया। इसमें कहा गया, ‘‘हमारा अगला कदम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली का रोडमैप तैयार करना है।इसमें ये देखना होगा कि क्या क्या कदम उठाने होंगे। इसमें खिलाड़ियों की तैयारी से लेकर सरकार की पाबंदिया और दिशा निर्देश शामिल होंगे।’’ 

भारत के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने गेंद पर थूक का इस्तेमाल नहीं करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, ‘‘खेल बहाल होने पर कुछ समय के लिये सिर्फ पसीने का ही इस्तेमाल करना चाहिये क्योंकि खिलाड़ियों की सुरक्षा सर्वोपरि है।’’

 

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