Highlightsसचिन ने 200 टेस्ट में सर्वाधिक 51 शतकों के साथ 15921 रन बनाएसचिन 100 इंटरनेशनल शतक लगाने वाले दुनिया के एकमात्र बल्लेबाज हैंसचिन के नाम टेस्ट और वनडे में सर्वाधिक शतकों और रनों का रिकॉर्ड है
क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर ने अपने टेस्ट करियर में 51 शतक लगाए हैं जोकि एक ऐसा विश्व रिकॉर्ड है जिसका आने वाले कई सालों तक टूटना लगभग नामुमकिन है। वैसे तो 51 शतकों में से सचिन की हर पारी ही बेहद खास रही है लेकिन इन पारियां में से कुछ ऐसी पारियां रही हैं जिन्हें क्रिकेट इतिहास की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक माना जाता है। फिर चाहे वह 1999 में चेन्नई में एक तरफ से गिरते विकेटों के बीच लक्ष्य का पीछा करते हुए पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई 136 रन की पारी हो या फिर सेंचुरियनर में 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ लक्ष्य का पीछा करते हुए खेली गई 114 रन की नाबाद पारी। आइए नजर डालते हैं सचिन की ऐसी ही 10 सबसे यादगार पारियों पर।
1. पाकिस्तान के खिलाफ 136 रन (चेन्नई टेस्ट, 1999): पाकिस्तान टीम के भारत के पहले दौरे के पहले मैच में टीम इंडिया के लिए वसीम अकरम और वकार यूनिस को खेलना मुश्किल हो रहा था। पहली पारी में सकलैन मुश्ताक ने सचिन को डक पर आउट कर दिया था। चौथे दिन टीम इंडिया 271 रन के जवाब में 82 रन पर 5 विकेट गंवाकर संघर्ष कर रही थी। आखिरी दिन सचिन ने पीठ में दर्द से जूझते हुए 136 रन की लाजवाब पारी खेली। लेकिन लक्ष्य से 17 रनकी दूरी पर वह आउट हो गए और आखिर में भारत ये मैच 12 रन से हार गया. इस पारी को सचिन की सबसे महान पारियों में से गिना जाता है।
2.ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 114 रन (पर्थ टेस्ट, 1992): महज 19 साल की उम्र में सचिन ने दुनिया की सबसे तेज पिच माने जाने वाली पर्थ की विकेट पर क्रेग मैक्डरमाड और मर्व ह्यूज जैसे घातक गेंदबाजों के सामने निडरता से भरी पारी खेली। सचिन ने उस मैच में 161 गेंदों में 16 चौकों की मदद से 114 रन की शानदार पारी खेली। अपने आखिरी 50 रन तो उन्होंने महज 55 गेंदों में ही बना दिए थे। इस पारी से सचिन ने एक महान बल्लेबाज के आने का धमाकेदार संकेत दे दिया था।
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3. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 241 रन (सिडनी टेस्ट, 2004): इस पारी से पहले उस दौरे में सचिन बुरी तरह फ्लॉप रहे थे और लगातार ऑफ स्टंप के बाहर आउट हो रहे थे। इस मैच से पहले वह तीन टेस्ट मैचों में तीन बार डक पर आउट हो चुके थे। इसलिए अपने इस दोहरे शतक में सचिन ने ऑफ साइड में न के बराबर शॉट खेले और खासकर अपने कवर ड्राइव पर अंकुश लगाकर रखा। सचिन ने अपने 33 में से 28 चौके और 188 रन सिर्फ लेग साइड से बनाए। वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा ने सचिन की इस अनुशासित पारी की जमकर तारीफ की थी।
4. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 169 रन (केप टाउन, 1997): दक्षिण अफ्रीका के पहली पारी के 529 रन के जवाब में भारतीय टीम 58 रन पर 5 विकेट गंवाकर मुश्किल में थी। इसके बाद सचिन ने मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ मिलकर काउंटर अटैक करते हुए डोनाल्ड और पोलाक की खतरनाक पेस बैटकी को बेदम कर दिया। इन दोनों ने छठे विकेट के लिए 222 रन जोरदार साझेदारी करते हुए भारत को फॉलो ऑन से बचाया। सचिन ने 254 गेंदों में 26 चौकों की मदद से 169 रन लाजवाब पारी खेली। अजहरुद्दीन ने 115 रन की कप्तानी पारी खेली।
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5.दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 146 रन (केप टाउन, 2011): तीन मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर थी और तीसरे टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के पहली पारी के 362 रन के जवाब में टीम इंडिया 28 रन पर 2 विकेट गंवाकर संघर्ष कर रही थी और डेल स्टेन आग उगलता हुआ स्पैल फेंक रहे थे। लेकिन सचिन ने एक तरफ से मोर्चा संभाला और अपना 51वां टेस्ट शतक जड़ते हुए 146 रन की जोरदार पारी खेलते हुए भारत को दक्षिण अफ्रीका पर पहली पारी की बढ़त दिला दी। संयोग से ये सचिन के करियर का आखिरी शतक साबित हुआ। इस मैच को ड्रॉ कराकर भारत ने 3 मैचों की सीरीज 1-1 से ड्रॉ करा ली।
6. इंग्लैंड के खिलाफ 119 रन (मैनचेस्टर, 1991): सचिन ने महज 17 साल और 112 रन दिन की उम्र में शतक जड़कर दुनिया को हैरान कर दिया था। इस शतक के साथ ही वह टेस्ट शतक जड़ने वाले भारत के सबसे युवा और पाकिस्तान के मुश्ताक मोहम्मद के बाद दुनिया के दूसरे सबसे युवा क्रिकेटर बन गए थे। हालांकि बाद में बांग्लादेश के मोहम्मद अशरफुल ने 17 साल 61 दिन की उम्र में शतक जड़ते हुए मुश्ताक का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इस टेस्ट मैच में वैसे तो कुल छह शतक लगे थे लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा हुई 17 साल के सचिन के शतक की। विजडन ने इस पारी को क्रिकेट इतिहास की सबसे बेहतरीन पारियों में शामिल किया है।
7. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 155 रन (चेन्नई, 1998): इस सीरीज को वॉर्न vs तेंदुलकर की जंग के रूप में जाना जाता है। इस जंग में निश्चित तौर पर सचिन विजेता बनकर उभरे और उन्होंने टेस्ट से लेकर वनडे सीरीज तक वॉर्न के खिलाफ जमकर आक्रामक शॉट खेले। इस सीरीज के बाद ही वॉर्न ने कहा था कि उन्हें अपने सपने में भी सचिन छक्का लगाते नजर आते हैं। सचिन की 155 रन की धुआंधार पारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को आसानी से रौंद दिया था।
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8. वेस्टइंडीज के खिलाफ 117 रन (त्रिनिदाद एंड टोबैगो, 2002): सचिन का ये कैरेबियाई धरती पर पहला टेस्ट शतक था। सचिन के इस शतक की बदौलत भारत ने वेस्टइंडीज की धरती पर अपनी तीसरी टेस्ट जीत हासिल की थी। इस शतक के साथ ही सचिन ने अपना 30वां टेस्ट शतक जड़ते हुए महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन के 29 शतकों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया था। हालांकि सचिन ने ये उपलब्धि 93 टेस्ट मैचों में हासिल की थी जबकि ब्रैडमैन ने महज 52 टेस्ट में।
9. इंग्लैंड के खिलाफ 103 रन (चेन्नई 2008): जीत के लिए भारत को 387 रन का लक्ष्य मिला था। सहवाग ने 68 गेंदों में 83 रन की तूफानी पारी खेलते हुए तेज शुरुआत दिलाई लेकिन उनके आउट होने के बाद भी भारत को 270 रन की जरूरत थी। इसके बाद सचिन ने 103 रन और युवराज सिंह ने 85 रन की नाबाद पारी खेलते हुए भारत को 6 विकेट से यादगार जीत दिला दी। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की। इसे टेस्ट की दूसरी पारी में सचिन द्वारा खेली गई सबसे बेहतरीन पारियों में से एक माना जाता है।
10. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 116 रन (मेलबर्न, 1999): सचिन इस सीरीज में टीम इंडिया के कप्तान थे। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण के आगे टीम इंडिया के बल्लेबाज पूरी तरह फ्लॉप रहे थे। पहला टेस्ट बुरी तरह गंवाने के बाद इस मैच में भी 31 रन तक 3 विकेट गिर चुके थे। लेकिन इसके बाद सचिन ने एक तरफ से लंगर डालकर बैटिंग की और भारत के 212 रन के स्कोर पर अकेले ही 116 रन बनाए, जिसमें शेन वॉर्न के खिलाफ जड़ा एक शानदार छक्का भी शामिल था। टीम इंडिया ये सीरीज 3-0 से हार गई लेकिन इस पूरी सीरीज में सचिन ही एकमात्र ऐसे भारतीय बल्लेबाज रहे जो ऑस्ट्रेलिया के सामने टिक सके, उन्होंने एक शतक और दो बेहतरीन अर्धशतक जड़े और मैन ऑफ द सीरीज रहे।