प्रचंड बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है: स्टेडियम का नाम बदले जाने पर शिवसेना

By भाषा | Published: February 26, 2021 01:52 PM2021-02-26T13:52:47+5:302021-02-26T13:52:47+5:30

Majority majority does not mean license to behave nonchalantly: Shiv Sena after the stadium was renamed | प्रचंड बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है: स्टेडियम का नाम बदले जाने पर शिवसेना

प्रचंड बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है: स्टेडियम का नाम बदले जाने पर शिवसेना

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मुंबई, 26 फरवरी अहमदाबाद के सरदार पटेल क्रिकेट स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रखने को लेकर शिवसेना ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि ‘‘प्रचंड बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं’’ है।

शिवसेना ने कहा कि पिछले पांच साल में आरोप लगाए गए कि कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार ने इतिहास से सरदार वल्लभ भाई पटेल का नामोनिशान मिटाने का प्रयास किया, लेकिन स्टेडियम का नाम बदले जाने से यह जाहिर हो गया है कि असल में कौन ऐसा प्रयास कर रहा है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि मोदी-शाह (नरेंद्र मोदी-अमित शाह) सरकार गुजरात में हर बड़ा काम करना चाहती है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि वे भूल गये हैं कि वे देश का नेतृत्व कर रहे हैं...अहमदाबाद (गुजरात) में मोटेरा स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया। अब तक मेलबर्न (आस्ट्रेलिया) स्टेडियम दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम था। अब मोदी के नाम वाला यह स्टेडियम सबसे बड़ा होगा।’’

संपादकीय में कहा गया, ‘‘इस कदम की आलोचना क्यों हो रही है ? इसलिए कि पहले मोटेरा स्टेडियम का नाम सरदार पटेल के नाम पर रखा गया था और अब इसका नाम मोदी के नाम पर रख दिया गया है।’’

‘सामना’ में कहा गया है, ‘‘नि:संदेह मोदी महान नेता हैं, लेकिन यदि उनके अंधभक्तों को लगता है कि वह महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल या इंदिरा गांधी से भी महान हैं, तो इसे अंधभक्ति में एक और मुकाम मानना चाहिए।’’

संपादकीय में कहा गया कि जिन लोगों ने मोटेरा स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर रखा है, दरअसल उन्होंने मोदी का कद घटाने का प्रयास किया है।

शिवसेना ने कहा, ‘‘मोदी लोकप्रिय नेता है। लोगों ने उन्हें प्रचंड जनादेश दिया। लेकिन बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है। सरदार पटेल और नेहरू के पास बहुमत देश के विकास की आधारशिला रखने के लिए था।’’

सामना में कहा गया, ‘‘नेहरू ने आईआईटी, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, भाखड़ा नांगल परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया। लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान क्या काम हुआ। सरदार पटेल के नाम पर बने स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया।’’

सामना में कहा गया है, ‘‘सरदार पटेल का कल तक गुणगान करने वाले लोग एक स्टेडियम के नाम के लिए सरदार पटेल के विरोधी बन रहे हैं। ऐसा लगता है कि आज की राजनीति में पटेल का महत्व खत्म हो गया है और यही चीज पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद नेताजी (सुभाष चंद्र) बोस के साथ होगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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