नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘ब्रीफ’ (मामले की फाइल) के बिना कोई वकील वैसे ही होता है जैसे क्रिकेट मैदान पर बिना बल्ले के सचिन तेंदुलकर।
शीर्ष अदालत ने यह बात उस युवा वकील को सलाह देते हुए कही जिसने हाल ही में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया है। शीर्ष अदालत ने वकील से कहा कि उन्हें जब भी अदालत के सामने पेश होना हो तो वह मामले की फाइलें पढ़कर आयें।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की एक पीठ ने युवा वकील से यह बात तब कही जब वकील ने अपने वरिष्ठ की अनुपस्थिति के चलते दलीलें पेश करने की अनुमति मांगी और कहा कि इससे उन्हें उनके करियर को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पीठ ने कहा, ‘‘आपने अपने कॉलेज में ‘मूट कोर्ट’ (परिकल्पित अदालत) में हिस्सा लिया होगा। इसे ‘मूट कोर्ट’ मानें। हमारे पास भोजनावकाश में अभी 10 मिनट हैं। आपने ‘ब्रीफ’ पढ़ा होगा। कृपया दलील पेश करें। हम जानते हैं कि आप दलील पेश कर सकते हैं। जब भी आपके वरिष्ठ अनुपस्थित हों तो आपको मामले में दलील पेश करने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए। बिना ‘ब्रीफ’ के वकील क्रिकेट के मैदान पर बिना बल्ले के सचिन तेंदुलकर के समान है।’’
एक ‘मूट कोर्ट’ वह होती है जिसमें कानून के छात्र अभ्यास के लिए काल्पनिक मामलों पर दलीलें पेश करते हैं। शीर्ष अदालत ने तब वकील से पूछा कि वह कक्षों में क्या करते हैं और क्या वह मामले की फाइलें पढ़ते हैं।
शीर्ष अदालत ने युवा वकील से कहा, ‘‘आपको हमेशा मामले की फाइलों को पढ़ना चाहिए और जब भी आपको अदालत के सामने पेश होना हो तो ‘ब्रीफ’ के साथ तैयार रहना चाहिए। अब, कृपया दलीलें पेश करना शुरू करें।
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