कोहली ने पद छोड़ने से किया इनकार, बीसीसीआई ने लिया फैसला और रोहित को सौंपी जिम्मेदारी

By भाषा | Published: December 8, 2021 10:45 PM2021-12-08T22:45:19+5:302021-12-08T22:45:19+5:30

Kohli refused to step down, BCCI took the decision and handed over the responsibility to Rohit | कोहली ने पद छोड़ने से किया इनकार, बीसीसीआई ने लिया फैसला और रोहित को सौंपी जिम्मेदारी

कोहली ने पद छोड़ने से किया इनकार, बीसीसीआई ने लिया फैसला और रोहित को सौंपी जिम्मेदारी

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(कुशान सरकार)

नयी दिल्ली, आठ दिसंबर विश्व कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ऐसा होना ही था और बुधवार को बीसीसीआई ने विराट कोहली को भारत की एक दिवसीय टीम के कप्तान पद से हटाकर बागडोर रोहित शर्मा को सौंप दी।

कोहली पहले ही टी20 कप्तानी छोड़ चुके थे। पता चला है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने उन्हें स्वेच्छा से वनडे टीम की कप्तानी से हटने के लिये पिछले 48 घंटों का इंतजार किया लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। लेकिन 49वें घंटे में रोहित शर्मा को यह पद गंवा बैठे जो होना ही था।

शायद किसी को यह बताने के लिये उसका समय हो चुका है, कोहली की बर्खास्तगी के बारे में बीसीसीआई के बयान में जिक्र भी नहीं किया गया जिसमें सिर्फ कहा गया कि चयन समिति ने आगे बढ़ने के दौरान रोहित को वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय टीमों का कप्तान बनाने का फैसला किया है।

कोहली ने बस यूं ही अपनी कप्तानी गंवा दी।

बीसीसीआई और राष्ट्रीय चयन समिति ने कोहली को कप्तानी से हटा दिया जिनकी महत्वाकांक्षा शायद 2023 वनडे विश्व कप में घरेलू सरजमीं पर भारतीय टीम की अगुआई करने की होगी।

जिस क्षण भारत टी20 विश्व कप के ग्रुप चरण से बाहर हुआ, कोहली को कप्तानी से हटाया जाना तय हो गया था लेकिन बीसीसीआई अधिकारी पिछले साढ़े चार वर्षों से टीम के कप्तान को सम्मानजनक रास्ता देना चाहते थे।

अंत में ऐसा लगता है कि कोहली ने बीसीसीआई से कहा कि उन्हें बर्खास्त करके दिखाओ और खेल की शीर्ष संस्था ने आगे बढ़कर ऐसा ही किया और फिर उनके सामने इसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

कोहली की कप्तानी का दौर खुद में एक शानदार दास्तां रहा है।

‘कूल’ महेंद्र सिंह धोनी ने अपने नेतृत्व में कोहली को तैयार किया और फिर जब उन्हें लगा कि समय आ गया तो उन्होंने सफेद गेंद की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी।

अगले दो वर्षों में कोहली टीम के ताकतवर कप्तान बन गये जो अपने हिसाब से चीजें करता। फिर उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की गयी प्रशासकों की समिति थी जिन्होंने उनकी हर मांग (कुछ सही और कुछ गलत) को पूरा किया।

फिर पारंपरिक प्रशासकों की वापसी हुई जिसमें बहुत ताकतवर सचिव और अध्यक्ष थे जो खुद ही सफल कप्तानी के बारे में जानकारी रखते थे।

अंत में सफेद गेंद के दोनों प्रारूपों के लिये दो अलग अलग कप्तानों की कोई जगह नहीं रही।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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