मानसिक थकान से निपटने के लिए भारतीय क्रिकेटरों को तीन हफ्ते का ब्रेक मिलेगा

By भाषा | Published: June 8, 2021 03:19 PM2021-06-08T15:19:31+5:302021-06-08T15:19:31+5:30

Indian cricketers will get a three-week break to deal with mental fatigue | मानसिक थकान से निपटने के लिए भारतीय क्रिकेटरों को तीन हफ्ते का ब्रेक मिलेगा

मानसिक थकान से निपटने के लिए भारतीय क्रिकेटरों को तीन हफ्ते का ब्रेक मिलेगा

googleNewsNext

लंदन, आठ जून जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में लंबे समय तक रहने के कारण मानसिक थकान की आशंका को देखते हुए भारतीय टीम प्रबंधन ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के बाद अपने खिलाड़ियों को तीन हफ्ते का ब्रेक देने का फैसला किया है।

भारत और न्यूजीलैंड की क्रिकेट टीमों के बीच 18 जून से साउथम्पटन के एजियास बाउल में डब्ल्यूटीसी फाइनल खेला जाना है। इस मुकाबले के बाद भारतीय खिलाड़ियों को लगभग तीन हफ्ते (20 दिन) का ब्रेक मिलेगा और वे 14 जुलाई को दोबारा एकत्रित होकर इंग्लैंड के खिालफ चार अगस्त से नॉटिंघम में शुरू होने वाली पांच मैचों की टेस्ट श्रृंखला की तैयारी करेंगे।

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, ‘‘जैसा कि कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री ने रवाना होने से पहले प्रेस कांफ्रेंस में कहा था, ब्रेक दिया जाएगा। डब्ल्यूटीसी फाइनल और इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट के बीच छह हफ्ते का अंतर है इसलिए हमें खिलाड़ियों की देखभाल के मुद्दे पर भी ध्यान देना होगा। ब्रिटेन के अंदर ही उन्हें ब्रेक मिलेगा, वे छुट्टी मना सकते हैं, दोस्तों और परिवार से मिल सकते हैं।’’

बेशक टीम के खिलाड़ियों को एक साथ समय बिताने का मौका भी मिल सकता है लेकिन खिलाड़ी यह चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे कि वे अपना समय कैसे बिताना चाहते हैं।

सूत्र ने कहा, ‘‘उनमें से अधिकतर खिलाड़ी कई बार ब्रिटेन आए हैं और देश में उनके मित्र और साथी हैं। यह उचित रहेगा कि वे उनसे मिल सकें।’’

कोहली ने भी दो जून को रवाना होने से पहले प्रेस कांफ्रेंस में पीटीआई के इस सवाल का जवाब दिया था कि क्या दो श्रृंखलाओं के बीच 42 दिन के अंतर से टीम की तैयारियां प्रभावित होंगी। भारतीय कप्तान ने इसे टीम के लिए स्वागत योग्य ब्रेक करार दिया था और मुख्य कोच रवि शास्त्री ने भी उनसे सहमति जताई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in app