देशज संस्कृति के समर्थन में ऑस्ट्रेलियाई टीम श्रृंखला से पहले नंगे पांव मैदान पर उतरेगी

By भाषा | Published: November 16, 2020 04:41 PM2020-11-16T16:41:19+5:302020-11-16T16:41:19+5:30

In support of indigenous culture, the Australian team will go barefoot before the series | देशज संस्कृति के समर्थन में ऑस्ट्रेलियाई टीम श्रृंखला से पहले नंगे पांव मैदान पर उतरेगी

देशज संस्कृति के समर्थन में ऑस्ट्रेलियाई टीम श्रृंखला से पहले नंगे पांव मैदान पर उतरेगी

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ब्रिसबेन, 16 नवंबर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी हर श्रृंखला से पहले देशज (स्वदेशी) लोगों की संस्कृति को सम्मान देने के लिए मैच से पहले मैदान पर नंगे पांव उतरकर गोलाकार स्थिति में खड़े होंगे, जिसकी शुरुआत भारत के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला से होगी।

ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट और एकदिवसीय उपकप्तान पैट कमिंस ने कहा कि उनकी टीम को अपने देश में और दुनिया में नस्लवाद की समस्या से निपटने का यह सर्वश्रेष्ठ तरीका लगा ।

ईएसपीन क्रिकइंफो के मुताबिक कमिंस ने कहा, ‘‘हमने नंगे पांव गोलाकार स्थिति में खड़ा होने का फैसला किया है। हम प्रत्येक श्रृंखला की शुरुआत में ऐसा करेंगे। यह हमारे लिए बहुत आसान निर्णय है। न केवल एक खेल के रूप में, बल्कि इस मामले भी कि हम लोग नस्लवाद के बिल्कुल खिलाफ हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम इसकी शुरूआत कर यह कह सकते है कि हमने अतीत में पर्याप्त प्रयास नहीं किये हैं और हम बेहतर होना चाहते हैं। हम अपने स्तर पर इसे रोकने और बेहतर होने की कोशिश कर सकते है। यह एक छोटी पहल है जिसे हम इस गर्मी (आगामी सत्र) में शुरु करने जा रहे हैं।’’

‘ब्लैक लाइव्स मैटर (बीएलएम) यानि अश्वेतों की जिंदगी मायने रखती है’ आंदोलन के समर्थन में इंग्लैंड दौरे पर घुटने के बल नहीं बैठने पर वेस्ट इंडीज के दिग्गज क्रिकेटर माइकल होल्डिंग ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों की आलोचना की थी।

कमिंस से पूछा गया कि इंग्लैंड दौरे पर टीम ने घुटनों के बल बैठने के खिलाफ फैसला क्यो किया तो उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग इसे घुटने के बल बैठ कर करना चाहते है , हो सकता है कि कुछ लोग इसे अलग तरीकों से दिखाना चाहें। लेकिन हम टीम के रूप में एक साथ आए हैं और समझते हैं कि यह सबसे अच्छा तरीका है जिसमेकं हम नस्लवाद के विरोध के साथ देशज संस्कृति का जश्न भी मनाएंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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