त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की थोक कीमतें 3-5 रुपये प्रति किलोग्राम और कम की जाएंगी: एसईए

By भाषा | Updated: November 1, 2021 18:47 IST2021-11-01T18:47:49+5:302021-11-01T18:47:49+5:30

Wholesale prices of edible oils to be further reduced by Rs 3-5 per kg during festive season: SEA | त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की थोक कीमतें 3-5 रुपये प्रति किलोग्राम और कम की जाएंगी: एसईए

त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की थोक कीमतें 3-5 रुपये प्रति किलोग्राम और कम की जाएंगी: एसईए

नयी दिल्ली, एक नवंबर खाद्य तेल की कीमतों में और कमी का कोई संकेत नहीं होने के बीच उद्योग निकाय एसईए ने सोमवार को कहा कि उसके सदस्यों ने फैसला किया है कि उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए इस त्योहारी सीजन के दौरान खाद्य तेलों के थोक मूल्यों में 3-5 रुपये प्रति किलोग्राम की और कमी किया जाये।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सरकारी कदमों के कारण 31 अक्टूबर को पाम तेल की औसत खुदरा कीमत पहले ही 21.59 प्रतिशत घटकर 132.98 रुपये किलो रह गई है, जो एक अक्टूबर को 169.6 रुपये प्रति किलोग्राम थी।

सोया तेल का औसत खुदरा मूल्य उक्त अवधि में 155.65 रुपये प्रति किलोग्राम से मामूली घटकर 153 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है।

हालांकि, मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि मूंगफली तेल, सरसों तेल और सूरजमुखी तेल की औसत खुदरा कीमत 31 अक्टूबर को क्रमश: 181.97 रुपये प्रति किलोग्राम, 184.99 रुपये प्रति किलोग्राम और 168 रुपये प्रति किलोग्राम पर मजबूत बनी रहीं।

उपभोक्ताओं को आगे और राहत देने के लिए, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने कहा, ‘‘एसईए के सदस्यों ने दिवाली उत्सव को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेलों की कीमतों में 3,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति टन की कमी करने का फैसला किया है।’’

एसईए ने कहा कि शुल्क में कटौती के बाद 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच पामोलीन, रिफाइंड सोया और रिफाइंड सूरजमुखी की थोक कीमतों में 7-11 प्रतिशत की कमी आई है।

एसईए ने कहा, ‘‘हालांकि इन सभी खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में काफी वृद्धि हुई है, सरकार द्वारा शुल्क में कमी ने उपभोक्ताओं पर होने वाले प्रभाव को कम किया है।’’

इंडोनेशिया, ब्राजील और अन्य देशों में जैव ईंधन के लिए स्थानांतरण के बाद खाद्य तेलों की कम उपलब्धता के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में हुई बढ़ोतरी के अनुरूप घरेलू खाद्य तेल कीमतों में भी तेजी आई है।

भारत अपनी 60 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेलों की मांग को आयात से पूरा करता है। वैश्विक कीमतों में किसी भी वृद्धि का स्थानीय कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

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