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मजदूर संघों का पेट्रोलियम मंत्री से बीपीसीएल के निजीकरण के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह

By भाषा | Updated: August 26, 2020 19:39 IST

पत्र में कहा गया है कि श्रमिक संगठनों और बीपीसीएल कर्मचारी संघों के विरोध के बावजूद सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण को आगे बढ़ा रही है।

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ठळक मुद्देसरकार ने पिछले साल नवंबर में बीपीसीएल में अपनी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। बीपीसीएल ने पीएम केयर्स फंड में 125 करोड़ रुपये और स्टेच्यू आफ यूनिटी में 25 करोड़ रुपये का योगदान किया है।

मजदूर संघों ने बुधवार को एक बार फिर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के प्रस्तावित निजीकरण के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। प्रधान को भेजे गये एक संयुक्त पत्र में श्रमिक संगठनों ने कहा है, ‘‘केन्द्रीय श्रमिक संघों और महासंघों का संयुक्त मंच आपसे आग्रह करता है कि बीपीसीएल के निजीकरण के फैसले पर एक बार फिर से गंभीरता से विचार किया जाये और देश हित में इस उपक्रम का निजीकरण नहीं किया जाये।’’

पत्र में कहा गया है कि श्रमिक संगठनों और बीपीसीएल कर्मचारी संघों के विरोध के बावजूद सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण को आगे बढ़ा रही है। इसमें कहा गया है कि बीपीसीएल संसद के कानून के जरिये बहुराष्ट्रीय पेट्रोलियम कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करके बनाया गया था। यह देश के पेट्रोलियम क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया था।

मजदूर संगठनों ने कहा है कि राष्ट्रीयकरण के बाद बीपीसीएल की क्षमता बढ़ाने में भारी निवेश किया गया ताकि देश की जनता को पेट्रोल, डीजल, खाना पकाने की गैस और मिट्टीतेल की निर्बाध रूप से आपूर्ति की जा सके। पत्र में कहा गया है कि बीपीसीएल ने पीएम केयर्स फंड में 125 करोड़ रुपये और स्टेच्यू आफ यूनिटी में 25 करोड़ रुपये का योगदान किया है। इसमें कहा गया है कि कई तरह की अड़चनों के बावजूद बीपीसीएल लगातार बेहतर काम करती रही है और राष्ट्रीय खजाने में लाभांश, विशेष लाभांश और करों के जरिये योगदान करती रही है।

सरकार ने पिछले साल नवंबर में बीपीसीएल में अपनी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएु और यूटीयूसी इन दस केन्द्रीय श्रमिक संगठनों ने संयुक्त मंच बनाकर सरकार को पत्र भेजा है। देश में 12 केन्द्रीय स्तर के मजदूर संगठन हैं। दो अन्य संगठन आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ है और एक अन्य नेशनल फ्रंट आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस है। 

टॅग्स :धर्मेंद्र प्रधान
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