सहकारी बैंकों के प्रति रिजर्व बैंक के ‘भेदभाव’ के मुद्दे को हल किया जा रहा है : सहकारिता राज्यमंत्री

By भाषा | Updated: November 15, 2021 20:35 IST2021-11-15T20:35:07+5:302021-11-15T20:35:07+5:30

The issue of 'discrimination' of the Reserve Bank towards cooperative banks is being resolved: Minister of State for Cooperation | सहकारी बैंकों के प्रति रिजर्व बैंक के ‘भेदभाव’ के मुद्दे को हल किया जा रहा है : सहकारिता राज्यमंत्री

सहकारी बैंकों के प्रति रिजर्व बैंक के ‘भेदभाव’ के मुद्दे को हल किया जा रहा है : सहकारिता राज्यमंत्री

नयी दिल्ली, 15 नवंबर केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा ने सोमवार को कहा कि शिक्षा ऋण पर ब्याज सब्सिडी प्रदान करने जैसे कुछ मुद्दों पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सहकारी बैंकों और निजी ऋणदाताओं के बीच ‘भेदभाव’ के मुद्दे को हल किया जा रहा है।

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वर्मा ने इस क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए सहकारी समितियों के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने की जरूरत पर बल दिया।

वर्मा ने कहा, ‘‘एनसीयूआई अध्यक्ष ने सहकारी बैंकों के प्रति रिजर्व बैंक के अलग दृष्टिकोण के कारण आने वाली समस्या के बारे में बात की ... ऐसे मुद्दों पर रिजर्व बैंक प्रमुख और वित्त मंत्री के साथ बिंदुवार चर्चा की गई। सकारात्मक चर्चा हुई और निर्णय पाइपलाइन में है। वह फैसला हमारे पक्ष में होगा।”

कार्यक्रम के बाद पीटीआई-भाषा से बात करते हुए उन्होंने कहा, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आरबीआई प्रमुख और वित्त मंत्री के साथ बैठक की। उन्होंने ‘‘न केवल शिक्षा ऋण से संबंधित बल्कि आयकर जैसे अन्य मुद्दों पर सकारात्मक तरीके से चर्चा की, जो सहकारी समितियों के लिए बाधा थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सहकारिता के साथ निजी क्षेत्र से अलग व्यवहार क्यों किया जाता है? यह मुद्दा उनके सामने रखा गया था।’’

वर्मा ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका को समझते हुए एक नया सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है। सहकारी समितियां न केवल छोटे, बल्कि बड़े व्यवसाय भी चला सकती हैं।

पूरे साल बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए सहकारी बैंकों को प्रौद्योगिकी के साथ उन्नयन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों में पेशेवर तरीके से काम करने के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण में तेजी लाने की भी जरूरत है।

उन्होंने कहा कि 30 करोड़ से अधिक सदस्यों वाली लगभग 8.60 लाख सहकारी समितियों के मौजूदा स्तर से देश में सहकारी आंदोलन का विस्तार करने के उद्देश्य से सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है।

वर्मा ने 68वें अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के उद्घाटन के अवसर पर एनसीयूआई की मासिक पत्रिका 'सहकारिता' का भी अनावरण किया।

एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप सिंघानी ने अपने संबोधन में सहकारिता क्षेत्र के सामने आने वाली बाधाओं को सूचीबद्ध करते हुए सहकारी बैंकों के प्रति रिजर्व बैंक के भेदभावपूर्ण रवैये का मुद्दा उठाया था।

उन्होंने कहा, ‘‘निजी बैंकों की तुलना में रिजर्व बैंक का सहकारी बैंकों के प्रति एक अलग दृष्टिकोण है। एक छात्र को निजी क्षेत्र के विपरीत सहकारी बैंक से अपने विदेश में अध्ययन के लिए शिक्षा ऋण पर सब्सिडी नहीं मिलेगी। क्या यह सही है?’’

सिंघानी ने कहा कि सहकारिता के प्रति ‘असमानता’ का व्यवहार है और उम्मीद है कि नए मंत्रालय की स्थापना के साथ यह बदल जाएगा।

उन्होंने कहा कि भारत में एक भी गांव ऐसा नहीं है जहां सहकारिता काम नहीं कर रही हो। सहकारिता से ही देश का विकास संभव है, लेकिन आयकर जैसी बाधाएं रास्ते में हैं।

सिंघानी ने आशा व्यक्त की कि जो नई सहकारिता नीति तैयार की जा रही है, वह देश के विकास में सहकारिता की भूमिका के बारे में लोगों में विश्वास जगाएगी और युवाओं के लिए नए रास्ते खोलेगी।

एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी सुधीर महाजन ने कहा कि सहकारी संघ ने कोविड-19 महामारी के दौरान प्रभावित सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि छोटे सहायता समूहों को सशक्त बनाने के लिए लगभग 41 क्षेत्रीय परियोजनाएं लागू की गई हैं, युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए नोएडा में एक कौशल विकास केंद्र का निर्माण किया जा रहा है और यहां तक ​​कि दिल्ली में एनसीयूआई परिसर में एनसीयूआई हाट को भी पिछले तीन महीनों में अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।

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