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कू के संस्थापक ने कहा, सोशल मीडिया मंचों के एल्गोरिद्म में पारदर्शिता जरूरी

By भाषा | Updated: November 21, 2021 14:13 IST

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नयी दिल्ली, 21 नवंबर घरेलू माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच कू के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अप्रमेय राधाकृष्ण का मानना है कि आंकड़ों की गणना पद्धति (एल्गोरिद्म) के बारे में पारदर्शी एवं सतत रवैया अपनाना ही उपयोगकर्ताओं का भरोसा हासिल करने का सही तरीका है।

राधाकृष्ण ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि किसी भी सोशल मीडिया मंच के लिए आत्म-नियमन पहला कदम होना चाहिए लेकिन इन मंचों के उपयोगकर्ताओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने की स्थिति में अलग से निर्देश जारी करना भी जरूरी हो जाता है।

राधाकृष्णन ने कुछ सोशल मीडिया मंचों पर एल्गोरिद्म संबंधी पूर्वाग्रहों के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘पारदर्शी एवं अनवरत रहना हमारी पसंद है और हम सोशल मीडिया की दुनिया में भी उसी मूल्य को लेकर आगे आ रहे हैं।’’

फेसबुक की प्रणाली एवं एल्गोरिद्म से नफरत फैलाने वाली खबरों को बढ़ावा देने के आरोप लगने से सोशल मीडिया मंचों के एल्गोरिद्म एवं साधनों के प्रभाव को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। जानकारों का कहना है कि इस तरह का एल्गोरिद्म सोशल मीडिया मंचों पर गलत सूचनाओं के साथ ही नुकसानदेह सामग्री को बढ़ावा दे सकता है।

व्हिसलब्लोअर फ्रांसिस हॉगेन के हालिया खुलासों के बाद फेसबुक पर ये आरोप लगे कि वह अपने लाभ के लिए सार्वजनिक हित को तिलांजलि दे रही है। फेसबुक के दुनियाभर में 2.91 अरब सक्रिय उपयोगकर्ता हैं जिनमें भारत के भी 40 करोड़ से अधिक लोग शामिल हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर कह चुके हैं कि किसी भी सोशल मीडिया मंच एल्गोरिद्म को भारतीय नागरिकों के बुनियादी अधिकारों के हनन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने बदलते समय के हिसाब से नियमों में बदलाव को भी जरूरी बताया।

इस संदर्भ में भारत के तेजी से बढ़ते घरेलू सोशल मीडिया मंच कू के सह-संस्थापक राधाकृष्ण कहते हैं कि एल्गोरिद्म में पारदर्शिता रखना किसी भी कंपनी के लिए एक सजगता भरा फैसला होना चाहिए और हरेक मंच को ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बात सोशल मीडिया के हरेक स्वरूप पर समान रूप से लागू होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई एल्गोरिद्म पारदर्शी और अनवरत है तो यह आगे बढ़ने का सही तरीका है और इससे उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ सरकारों में भी भरोसा पैदा होता है।’’

अपने मंच को पारदर्शी बताते हुए राधाकृष्ण ने कहा कि यह किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से मुक्त है और इसमें डाली गई सामग्रियों को क्रमिक रूप से दिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि कू अपने उपयोगकर्ताओं को पारदर्शी विकल्प मुहैया कराना जारी रखेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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