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कोविड टीका पाने योग्य प्राथमिकता प्राप्त लोगों की पहचान पर विशेषज्ञ समिति शीघ्र देगी रिपोर्ट

By भाषा | Updated: February 9, 2021 16:32 IST

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नयी दिल्ली, नौ फरवरी कोविड-19 टीका पाने के लिये प्राथमिकता प्राप्त व्यक्तियों की पहचान करने पर बनी विशेषज्ञ समिति अगले कुछ दिनों में रिपोर्ट को अंतिम रूप प्रदान कर देगी। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।

विशेषज्ञ समिति एक या एक से अधिक उन स्वास्थ्य संबंधी विकारों की पहचान कर रही है, जिनके होने की स्थिति में किसी व्यक्ति को कोविड-19 का टीका पाने का पात्र माना जायेगा। पॉल कोविड-19 टीकाकरण को लेकर बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के चेयरमैन हैं।

पॉल ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविशिल्ड वैक्सीन और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के अलावा कुछ अन्य टीके भी हैं, जिनके ऊपर विचार चल रहा है।

पॉल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘स्वास्थ्य संबंधी विकारों वाले व्यक्तियों की पहचान करने की पात्रता निर्धारित कर ली गयी है। हम अगले कुछ दिनों में अंतिम रिपोर्ट की उम्मीद कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि इस समिति ने इस पर गहराई से ध्यान दिया है। इस बारे में विस्तार से सोचा गया है कि टीका पाने के लिये किन विकारों को पात्रता में शामिल किया जाये।

उन्होंने कहा, ‘‘समिति इस बारे में में भी विचार कर रही है कि कौन यह निर्धारित करेगा, कौन इसे प्रमाणित करेगा, प्राथमिकता वाले टीके लगवाने के लिये व्यक्ति कहां जायेगा। इसलिये प्रक्रियात्मक मुद्दों पर भी चर्चा की गयी है। इस संबंध में, न केवल विशेषज्ञ समिति ने आपस में मुलाकात की है, बल्कि हमने राज्य सरकारों के साथ भी चर्चा की है।’’

सरकार के अनुसार, टीकाकरण के तहत सबसे पहले अनुमानित एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों और लगभग दो करोड़ अग्रिम मोर्चे के कर्मियों को टीके मिलेंगे। इसके बाद 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को टीका मिलेगा। तीसरे चरण में 50 वर्ष से कम के उन व्यक्तियों को टीके मिलेंगे, जो स्वास्थ्य से संबंधित कुछ विकारों से ग्रसित हैं।

सरकार भारत बायोटेक के कोवैक्सीन टीके पर अतिरिक्त जोर दे रही है, ऐसी आम राय के बारे में पूछे जाने पर पॉल ने कहा, ‘‘हम एक टीके (कोवैक्सीन) को दूसरे टीके (कोविशील्ड) के ऊपर वरीयता नहीं दे रहे हैं। हम दोनों ही टीकों पर जोर दे रहे हैं और दोनों को आगे बढ़ा रहे हैं। हम चाहते हैं कि आपको जो भी टीका आवंटित हो, आप उसे लगवायें।’’

उन्होंने बताया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड वैक्सीन और भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के अलावा, अन्य टीके भी हैं, जिनके ऊपर विचार चल रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास जाइडस कैडिला का डीएनए आधारित भारतीय टीका है, जो चरण-तीन के परीक्षण में है। हमें उम्मीद है कि इसका चरण-तीन परीक्षण एक या दो महीने में पूरा हो जाएगा और यह टीका उपलब्ध कराया जा सकता है। रूस के स्पुतनिक वी वैक्सीन का अब भारत के बाहर बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है और इसने आशाजनक परिणाम दिखाये हैं।’’

पॉल के अनुसार, हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई और पुणे स्थित जेन्नोवा बायोफार्मास्यूटिकल के टीके शुरुआती परीक्षण में हैं।

देश में अब तक 58 लाख से अधिक लोगों को टीके लगाये जा चुके हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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