मध्यस्थता अदालत ने केयर्न के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री, मंत्रियों के बयान का हवाला दिया

By भाषा | Updated: December 27, 2020 20:20 IST2020-12-27T20:20:21+5:302020-12-27T20:20:21+5:30

The arbitration court cited the statement of the Prime Minister and the Ministers in favor of Cairn | मध्यस्थता अदालत ने केयर्न के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री, मंत्रियों के बयान का हवाला दिया

मध्यस्थता अदालत ने केयर्न के पक्ष में फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री, मंत्रियों के बयान का हवाला दिया

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर अंतरराष्ट्रीय स्थायी मध्यस्थता अदालत में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में ब्रिटिश तेल और गैस कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी के खिलाफ भारत सरकार के 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रियों के बयान का जिक्र किया है। उन बयानों में पूर्व प्रभाव से कराधान कानून का उपयोग नहीं करने की बात कही गयी थी।

हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता अदालत ने पूर्व की तिथि से कर लगाने के मामले में ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला सुनाया है। कंपनी इस कर मांग के खिलाफ है।

उसने 21 दिसंबर को 582 पृष्ठ के आदेश में केयर्न को लाभांश, कर वापसी पर रोक और बकाया वसूली के लिए शेयरों की बिक्री से ली गई राशि लौटाने का आदेश दिया। सरकार ने आयकर कानून में 2012 में किये गये संशोधन के तहत कर प्रशासन को पहले के हुए सौदों पर कर मांगने की अनुमति दी है।

न्यायाधिकरण ने आम सहमति से दिये आदेश में कहा है कि 2006 में स्थानीय शेयर बाजार में सूचीबद्धता से पहले केयर्न द्वारा अपने भारतीय व्यापार का आंतरिक पुनर्गठन करना गलत तरीके से कर बचने का कोई उपाय नहीं था। न्यायाधिकरण ने कर प्राधिकरण को कर मांग को वापस लेने का आदेश दिया।

इस न्यायाधिकरण के एक सदस्य को भारत सरकार ने नियुक्त किया था।

मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 2014 के चुनाव घोषणापत्र में ‘कर आतंकवाद’ की स्थति पैदा करने और अनिश्चितता को लेकर तत्कालीन सरकार की कर नीति की आलोचना की गयी थी और कहा गया था कि इसका निवेश परिवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जुलाई 2014 में अपने पहले बजट भाषण में यह प्रस्ताव किया था कि सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) की निगरानी में उच्च स्तरीय समिति 2012 में हुए संशोधन के बाद सामने आने वाले नये मामलों की जांच करेगी।

आदेश के अनुसार सात नवंबर, 2014 को जेटली ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार ने यह नीतिगत निर्णय किया है कि जहां तक इस सरकार का सवाल है, ‘‘हमने यह नीतिगत निर्णय लिया है कि संशोधन के बाद मिली शक्तियों का उपयोग नहीं करेंगे। हालांकि, पूर्व की तिथि से कराधान की संप्रभु शक्ति बनी रहेगी।’’

जेटली के हवाले से 13 जनवरी, 2015 को कहा गया था कि कर कानून में 2012 के संशोधन से भारत को लेकर निवेशकों में एक भय उत्पन्न हुआ है और उनकी सरकार का पूर्व की तिथि से किये गये प्रावधान के उपयोग का कोई इरादा नहीं है।

न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 14 फरवरी, 2016 को इस बात की पुष्टि की। फइनेंशियल टाइम्स में प्रधानमंत्री के हवाले से कहा गया, ‘‘सरकार पूर्व प्रभाव से कराधान नियम का सहारा नहीं लेगी। हम अपनी कर व्यवस्था को पारदर्शी, स्थिर और भरोसेमंद बना रहे हैं।’’

आयकर विभाग ने 2012 में कर कानून में हुए संशोधन के आधार पर केयर्न से 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग की। यह कर मांग 2006 में कंपनी के अपने कारोबार पुनर्गठन के कारण उत्पन्न कथित पूंजी लाभ को लेकर था। केयर्न ने इस बात से इनकार किया कि उसने ऐसा कर की देनदारी से स्वयं को बचाया है और कर मांग को मध्यस्थता न्यायाधिकरण में चुनौती दी।

न्यायाधिकरण में मामला लंबित रहने के दौरान सरकार ने वेदांता लिमिटेड में केयर्न की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी, करीब 1,140 करोड़ रुपये का लाभांश जब्त कर लिया और करीब 1,590 करोड़ रुपये का कर रिफंड नहीं दिया।

मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि वह इस प्रकार की कर मांग से बचे और केयर्न को लाभांश, कर वापसी पर रोक और बकाया वसूली के लिए शेयरों की बिक्री से ली गई राशि लौटाए। साथ ही मध्यस्थता खर्च का भुगतान करने को कहा। कुल मिलाकर ब्याज को छोड़कर यह 1.25 अरब डॉलर बैठता है।

पूरे मामले पर सरकार ने एक बयान में कहा कि वह फैसले का अध्ययन करेगी और सरकार सभी विकल्पों पर विचार करेगी तथा आगे कार्रवाई के बारे में निर्णय लेगी, जिसमें उचित मंच पर कानूनी कार्रवाई भी शामिल है।

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Web Title: The arbitration court cited the statement of the Prime Minister and the Ministers in favor of Cairn

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