पेट्रोल, डीजल पर केन्द्र, राज्य दोनों के स्तर पर करों में कमी लाई जानी चाहिये: सीतारमण

By भाषा | Updated: March 5, 2021 18:12 IST2021-03-05T18:12:08+5:302021-03-05T18:12:08+5:30

Taxes on petrol, diesel should be reduced at both the central and state levels: Sitharaman | पेट्रोल, डीजल पर केन्द्र, राज्य दोनों के स्तर पर करों में कमी लाई जानी चाहिये: सीतारमण

पेट्रोल, डीजल पर केन्द्र, राज्य दोनों के स्तर पर करों में कमी लाई जानी चाहिये: सीतारमण

नयी दिल्ली, पांच मार्च वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार किया है कि पेट्रोल और डीजल के ऊंचे दाम उपभोक्ताओं का बोझ बढ़ा रहे हैं। उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों से राहत मिलनी चाहिए, लेकिन इसके लिये केन्द्र और राज्य दोनों के स्तर पर करों में कटौती करनी होगी।

पेट्रोल की खुदरा कीमत में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्रीय और राज्य करों की है। डीजल के मामले में यह 56 प्रतिशत तक है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कुछ स्थानों पर पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया है जबकि देश में अन्य स्थानों पर भी इनके दाम अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर चल रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का लाभ लेने के लिए सीतारमण ने पिछले साल पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में रिकॉर्ड वृद्धि की थी। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम दो दशक के निचले स्तर पर आ गए थे।

हालांकि, सीतारमण ने उपभोक्ताओं को राहत के लिए केंद्रीय करों में कटौती की दिशा में पहल करने के बारे में कुछ नहीं कहा।

इंडियन वुमेंस प्रेस कॉर्प (आईडब्ल्यूपीसी) में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में सीतारमण ने कहा, ‘‘जहां तक उपभोक्ताओं की बात है, उनके लिए ईंधन कीमतों में कटौती की मांग का मामला बनता है।’’

उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं पर बोझ की बात समझ आती है, लेकिन इनका मूल्य निर्धारण अपने आप में एक जटिल मुद्दा है।

सीतारमण ने कहा, ‘‘इसी वजह से मैंने ‘धर्मसंकट’ शब्द का इस्तेमाल किया था। यह ऐसा सवाल है जिसपर मैं चाहूंगी कि राज्य और केंद्र बात करें। केंद्र पेट्रोलियम उत्पादों पर अकेले कर नहीं लगाता है। राज्य भी कर लेते हैं।’’

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों को पेट्रोल और डीजल पर कर से राजस्व मिलता है। सीतारमण ने कहा कि केंद्र के कर संग्रहण में से भी 41 प्रतिशत राज्यों को जाता है।

वित्त मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे में कई परतें है। ऐसे में यह उचित होगा कि केंद्र और राज्य इस पर आपस में बात करें।

पेट्रोल और डीजल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाने के मुद्दे पर सीतारमण ने कहा कि इस बारे में कोई भी फैसला जीएसटी परिषद को लेना है।

फिलहाल केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर निश्चित दर से उत्पाद शुल्क लगाती है। वहीं विभिन्न राज्यों द्वारा इसपर अलग दर से मूल्यवर्धित कर लगाया जाता है। इसे जीएसटी के तहत लाने से दोनों समाहित हो जाएंगे। इससे वाहन ईंधन के दामों में समानता आएगी। ऐसे में ऊंचे मूल्यवर्धित कर वाले राज्यों में दाम अधिक होने की समस्या का समाधान हो सकेगा।

यह पूछे जाने पर कि केन्द्र क्या जीएसटी परिषद की अगली बैठक में इस तरह का प्रस्ताव लायेगा। जवाब में उनहोंने कहा कि परिषद की बेठक का समय नजदीक आने पर इस बारे में विचार होगा।

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