नयी दिल्ली, 14 दिसंबर भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने सोमवार को खुलासा किया कि उनके अधिवक्ता पुत्र श्रीनिवास बोबडे स्लम पुनर्वास मामले में शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह की अनुषंगी कंपनी का करीब दो साल से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। न्यायमूर्ति बोबडे की अगुवाई वाली पीठ बहुचर्चित टाटा-मिस्त्री मामले की सुनवाई कर रही है।
शीर्ष अदालत राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश के खिलाफ टाटा संस और साइरस इन्वेस्टमेंट्स की ओर से दायर अपीलों की सुनवाई कर रही है। एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री को 100 अरब डॉलर के समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था।
मुख्य न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने टाटा समूह और एसपी समूह के वकीलों से पूछा कि उन्हें इस खुलासे (मुख्य न्यायधीश के पुत्र का एसपी समूह की कंपनी का वकील होने) से कोई आपत्ति तो नहीं है।
टाटा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और एसपी समूह के वकील सी ए सुंदमरम ने कहा कि उन्हें मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ द्वारा सुनवाई से कोई आपत्ति नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सप्ताहांत उन्हें पता चलता कि उनके पुत्र जो मुंबई में हैं एसपी समूह की अनुषंगी कंपनी के स्लम पुनर्वास के एक मामले में वकील है। ऐसे में मैंने संबंधित पक्षों के समक्ष इसका खुलासा जरूरी समझा।’’ साल्वे ने कहा कि वह भी इसी मामले में पेश हो चुके हैं और उन्हें इसको लेकर कोई आपत्ति नहीं है।
सुंदरम ने भी कहा कि वे सभी किसी एक कंपनी या अन्य के लिए पेश होते रहते हैं। उन्हें भी इसको लेकर कोई आपत्ति नहीं है।
इस मामले पर सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।