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सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली का रिऐलिटी कारोबार को बताया 'मकड़जाल', कहा- आवासीय परियोजनाएं अवैध

By भाषा | Updated: August 22, 2018 03:30 IST

आम्रपाली को अपनी गिरवी रहित संपत्तियों का ब्योरा प्रदान करने का निर्देश देते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि समूह पर इतनी अधिक देनदारियां हैं कि उसकी संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त रकम का अधिकारियों, कर और सुरक्षित ऋणदाताओं को भुगतान करने के बाद काफी कम राशि बचेगी।

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नई दिल्ली, 22 अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने आज आम्रपाली समूह से कहा कि वह पाक साफ होकर आए। शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उसकी आवासीय परियोजनाएं पहली नजर में अवैध लगती हैं और उसका रियल एस्टेट कारोबार ‘मकड़जाल’ की तरह है। आम्रपाली को अपनी गिरवी रहित संपत्तियों का ब्योरा प्रदान करने का निर्देश देते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि समूह पर इतनी अधिक देनदारियां हैं कि उसकी संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त रकम का अधिकारियों, कर और सुरक्षित ऋणदाताओं को भुगतान करने के बाद काफी कम राशि बचेगी।न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा कि भारतीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड (एनबीसीसी) द्वारा लंबित परियोजनाओं के निर्माण के लिये 5000 करोड़ से अधिक रुपये हासिल करने का एकमात्र उपाय है कि आम्रपाली समूह के निदेशकों की निजी संपत्तियां बेच दी जाएं।पीठ ने सभी निदेशकों का सात दिन में विस्तृत हलफनामा मांगा, जिन्होंने कुछ महीने के लिये भी समूह में सेवा दी। पीठ ने उनकी निजी संपत्तियों और बैंक खातों का भी ब्योरा मांगा।पीठ ने कहा, ‘‘पहली नजर में ऐसा लगता है कि समूह की नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सभी आवासीय संपत्तियां जहां लोगों को कब्जा दिया गया है, वो अवैध हैं क्योंकि किसी के पास कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं है।’’ पीठ ने साफ कर दिया कि वह सही निदेशकों को नहीं छुएगी। उसने कहा कि वह इसलिये ब्योरा मांग रही है क्योंकि उसे संदेह है कि ‘व्यक्ति के पीछे व्यक्ति हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘एकबार निदेशकों और उनकी संपत्ति का ब्योरा मिलने के बाद हम उचित आदेश देंगे। हम साफ कर देना चाहते हैं कि हम सही निदेशकों के खिलाफ नहीं हैं।’’ पीठ ने समूह को निर्देश दिया कि वह उन आठ कंपनियों का ब्योरा दे जो उन कंपनियों की सूची में शामिल नहीं थी, जो पहले सौंपी गई थीं।जहां घर खरीदारों को कब्जा दिया गया है उस बारे में न्यायालय ने कहा कि कानूनी रूप से कहा जाए तो स्वामित्व अधिकारों का अंतरण नहीं किया गया क्योंकि कंप्लीशन प्रमाण पत्र नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘आम्रपाली अपनी बकाया देनदारियों को चुकाने की जिम्मेदारियों से नहीं बच सकतह।’’ गिरवी रहित संपत्तियों के आंकड़े को देखने के बाद पीठ ने कहा, ‘‘आप बेदाग होकर आएं, न कि दागदार हाथों के साथ। आपको हर देनदारी का ब्योरा देना है। इसमें खरीदारों और सुरक्षित ऋणदाताओं पर देनदारी भी शामिल है।’’  

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