सोयाबीन और सीपीओ कीमतों में गिरावट
By भाषा | Published: November 20, 2020 07:53 PM2020-11-20T19:53:46+5:302020-11-20T19:53:46+5:30
नयी दिल्ली, 20 नवंबर शिकागो एक्सचेंज में तेजी के रुख के बावजूद ऊंचे भाव पर मांग कमजोर होने से दिल्ली तेल तिलहन बाजार में शुक्रवार को सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई जबकि वैश्विक स्तर पर सोयाबीन दाना की मांग होने के कारण सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। दूसरी ओर मलेशिया एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट दर्ज हुई।
तेल कारोबार के जानकार सूत्रों ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की मांग है और विशेषकर अमेरिका में एक माह के दौरान सोयाबीन दाना के दाम में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। लेकिन फिर भी बिनौला तेल के मुकाबले महंगा होने के कारण सोयाबीन की मांग प्रभावित हुई जिससे सोयाबीन तेल कीमतों में विशेषकर सोयाबीन डीगम तक में गिरावट देखने को मिली।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन डीगम और पाम तेल में बेपड़ता कारोबार हो रहा है और देश की मंडियों में इन तेलों के भाव 10 से 12 प्रतिशत नीचे बिक रहे हैं। भाव ऊंचा होने से आयातित तेल पहले ही बाजार में खप नहीं पा रहे हैं।
कुछ तेल बाजार के विशेषज्ञों ने सरकार से खाद्य तेलों के आयात शुल्क को कम करने की मांग की है जिसके बारे में सूत्रों का मानना है कि यह मांग नाजायज है क्योंकि हाजिर बाजार में तेलों के भाव पहले ही 10-12 प्रतिशत कम हैं। स्थानीय स्तर पर आयात शुल्क कम करने पर विदेशों में तेलों के भाव बढ़ाकर भाव पूर्ववत बनाये रखे जाने का खतरा है और विदेशी कंपनियों को छोड़कर आयात शुल्क कम किये जाने का किसी को भी फायदा नहीं मिलने वाला है। महाराष्ट्र और कर्नाटक की मंडियों में सूरजमुखी बीज तो एमएसपी से लगभग 15 प्रतिशत नीचे बिक रहा है तो फिर आयात शुल्क घटाने से क्या असर आयेगा? उल्टा ये आग में घी डालने जैसा कदम होगा और सरकार को राजस्व की हानि होगी।
मलेशिया एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की गिरावट तथा कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर मजदूरों की कम उपलब्धता की वजह से मलेशिया में उत्पादन प्रभावित होने के कारण भी पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने कहा कि अगले वर्ष जनवरी फरवरी के दौरान सरसों दाना की भारी कमी होगी क्योंकि अब किसानों और नाफेड के पास बहुत सीमित स्टॉक रह गया है। व्यापारियों और तेल मिलों के पास कोई स्टॉक नहीं है। आगे सरसों मांग बढ़ने की बात को ध्यान में रखकर नाफेड और हाफेड को सरसों की बिक्री बिल्कुल बंद कर देनी चाहिये क्योंकि इसका कोई विकल्प नहीं है।
तेल-तिलहन बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 6,260 - 6,310 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
मूंगफली दाना - 5,400- 5,450 रुपये।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,500 रुपये।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,095 - 2,155 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 12,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,875 - 2,025 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,995 - 2,105 रुपये प्रति टिन।
तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपये।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,600 रुपये।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,300 रुपये।
सोयाबीन तेल डीगम- 10,490 रुपये।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,270 रुपये।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,100 रुपये।
पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 10,700 रुपये।
पामोलीन कांडला- 9,850 रुपये (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी भाव 4,500 - 4,550 लूज में 4,335 -- 4,365 रुपये।
मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये।
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