नीति आयोग के पहले सतत विकास लक्ष्य शहरी सूचकांक में शिमला, कोयंबटूर, चंडीगढ़ शीर्ष पर
By भाषा | Updated: November 23, 2021 19:30 IST2021-11-23T19:30:20+5:302021-11-23T19:30:20+5:30

नीति आयोग के पहले सतत विकास लक्ष्य शहरी सूचकांक में शिमला, कोयंबटूर, चंडीगढ़ शीर्ष पर
नयी दिल्ली, 23 नवंबर नीति आयोग के पहले सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) शहरी भारत सूचकांक में शिमला, कोयंबटूर और चंडीगढ़ शीर्ष स्थान पर हैं। वहीं धनबाद, मेरठ और ईटानगर का प्रदर्शन फिसड्डी रहा है। नीति आयोग की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
आधिकारिक बयान के अनुसार नीति आयोग ने ‘इंडो-जर्मन डेवलपमेंट कोऑपरेशन’ के अंतर्गत जीआईजेड और बीएमजेड के साथ मिलकर एसडीजी शहरी सूचकांक और ताजा जानकारी के लिये ‘डैशबोर्ड’ विकसित किया है।
सूचकांक और ‘डैशबोर्ड’ जारी करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ‘‘शहर तेजी से वृद्धि के इंजन बनते जा रहे हैं। नीति आयोग और जीआईजेड के बीच अनूठी भागीदारी के जरिये तैयार एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड हमारे शहरों में एक मजबूत एसडीजी निगरानी प्रणाली स्थापित करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे...।’’
बयान के अनुसार, सूचकांक शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) के स्तर पर आंकड़ों, निगरानी और सूचना प्रणाली के मामले में मजबूती और कमियों को उजागर करता है।
एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड 2021-22 में शीर्ष 10 शहरी क्षेत्र शिमला, कोयंबटूर, चंडीगढ़, तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, पणजी, पुणे, तिरुचिरापल्ली, अहमदाबाद और नागपुर हैं।
वहीं निचले स्थान पर 10 शहरी क्षेत्र धनबाद, मेरठ, गुवाहाटी, पटना, जोधपुर, कोहिमा, आगरा, कोलकाता और फरीदाबाद हैं।
सूचकांक में 56 शहरी क्षेत्रों की रैंकिंग की गयी है। इसमें से 44 शहरों की आबादी 10 लाख से अधिक है। वहीं 12 राज्यों की राजधानियां हैं, जिनकी आबादी 10 लाख से कम है।
संकेतकों के लिये आंकड़े आधिकारिक स्रोतों जैसे एनएफएचएस (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे), एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो), यू-डीआईएसई (शिक्षा के लिये एकीकृत जिला सूचना प्रणाली), विभिन्न मंत्रालयों के पोर्टल और अन्य सरकारी स्रोतों से प्राप्त किये गये हैं।
आयोग के अनुसार, प्रत्येक एसडीजी के लिये शहरी क्षेत्रों की रैंकिंग शून्य से 100 के पैमाने पर की गयी है। सौ अंक का मतलब है कि शहरी क्षेत्र ने 2030 के लिये निर्धारित लक्ष्य हासिल कर लिया है। वहीं शून्य का मतलब है कि संबंधित क्षेत्र लक्ष्य हासिल करने से अभी काफी दूर हैं।
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