लाइव न्यूज़ :

सेबी ने म्यूचुअल फंड प्रायोजकों के लिये लाभ के मानदंड में रियायत दी

By भाषा | Updated: December 16, 2020 19:02 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड प्रायोजक बनने के लिये लाभ से जुड़े मानदंड में ढील दी है। म्यूचुअल फंड में नवप्रवर्तन को सुगम बनाने और क्षेत्र के विस्तार के नजरिये से यह कदम उठाया गया है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड की योजनाओं की परिसंपत्ति और देनदारियों को अन्य योजनाओं से अलग करने का भी निर्णय किया है।

यह बैंक खातों और प्रतिभूति खातों को अलग करने की मौजूदा जरूरतों के अलावा है।

सेबी के निदेशक मंडल ने भौतिक रूप से प्रमाणपत्र जारी करने की आवश्यकता, अधिकतम स्वीकार्य निकास भार (एक्जिट लोड) और लाभांश भुगतान के लिये समयसीमा में कमी लाने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी।

इसके अलावा बोर्ड ने लाभांश भुगतान के लिये अन्य तरीके अपनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। साथ ही लाभांश भुगतान में विलम्ब को लेकर ब्याज और जुर्माने के संदर्भ में चीजों को स्पष्ट किया है।

प्रायोजक पात्रता के संदर्भ में सेबी ने कहा कि आवेदन करते समय प्रायोजक अगर लाभदायकता से संबद्ध मानदंडा को पूरा नहीं कर रहे, उन्हें भी म्यूचुअल फंड का प्रायोजक होने के लिये पात्र माना जाएगा।

यह इस बात पर निर्भर करेगा कि संपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) के नेटवर्थ में योगदान देने के उद्देश्य से नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये से कम नहीं हो।

सेबी के अनुसार एएमसी के उक्त नेटवर्थ को उस समय तक बनाये रखना होगा जबतक संपत्ति प्रबंधन कंपनियां लगातार पांच साल तक लाभ में नहीं रहे।

सैमको सिक्योरिटीज के रैंक एमएफ प्रमुख ओमकेश्वर सिंह ने इस बारे में कहा कि नियमों में ढील से नई कंपनियों के लिये उच्च नेटवर्थ के साथ बिना लाभदायकता के म्यूचुअल फंड के प्रायोजक के रूप में रास्ता खुलेगा।

उन्होंने कहा कि फिलहाल पिछले पांच साल में से तीन साल में प्रायोजक के लिये मूल्यह्रास, ब्याज और कर के लिये प्रावधान के बाद लाभ का नियम अनिवार्य है। इसमें पांचवां साल शामिल है। अब म्यूचुअल फंड के प्रायोजक के लिये यह प्रावधान अनिवार्य नहीं होगा।

एएमसी के नेटवर्थ की गणनना के तरीके को दुरूस्त करने के लिये सेबी ने सभी संपत्ति प्रबंधन कंपनियों के लिये निरंतर आधार पर न्यूनतम नेटवर्थ बनाये रखने को अनिवार्य किया है।

म्यूचुअल फंड योजनाओं की परिसंपत्ततियों और देनदारियों को अलग करने के बारे में सेबी ने कहा, ‘‘म्यूचुअल फंड की प्रत्येक योजना की सभी परिसंपत्तियों और देनदारियों को अलग-अलग गिना जाएगा तथा एक दूसरे में उतार-चढ़ाव के असर से पृथक रखा जाएगा।’’

सेबी ने विभिन्न पक्षों से विचार-विमर्श के बाद म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन किया है। इसका मकसद प्रावधानों को दुरूस्त करना, पुराने पड़ गये नियमों को हटाना और परिचालन संबंधी कठिनाइयों को दूर करना है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतकश्मीर में ‘चिल्ला-ए-कलां’ शुरू?, घाटी में पड़ने वाली 40 दिनों की भीषण सर्दी क्या होती है?

विश्वVIDEO: बांग्लादेश के ढाका में उस्मान हादी के जनाज़े में भारी हुजूम, मुहम्मद यूनुस भी मौजूद

क्रिकेटक्या टी20 में हमेशा के लिए दरवाजे बंद?, शुभमन गिल, केएल राहुल, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज क्या करेंगे?

भारतईटानगर नगर निगमः भाजपा ने 20 में से 14 सीट पर दर्ज की शानदार जीत, पासीघाट नगर परिषद पर पीपीए ने का कब्जा, 8 में से 5 सीट, ईटानगर-पासीघाट में कांग्रेस 0

भारतVIDEO: पीएम मोदी ने गुवाहाटी में भारत के पहले नेचर-थीम वाले एयरपोर्ट टर्मिनल का किया उद्घाटन

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारPetrol Diesel Price Today: दिल्ली से लेकर मुंबई तक अपडेट हो गए पेट्रोल और डीजल के दाम, बस एक क्लिक से करें चेक

कारोबारखाद्य सब्सिडी बढ़ी, नहीं घटी किसानों की चिंता

कारोबारविपक्ष फ्रस्ट्रेशन में हैं, कुछ भी बयान देते हैं, सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा-जनता ने कांग्रेस की नीतियों को पूरी तरह से नकार दिया

कारोबारगृह मंत्री की डेड लाइन से पहले हमने खत्म कर दिया नक्सलवाद, नक्सलियों के पास थे पाकिस्तानी सेना जैसे हथियार?, सीएम मोहन यादव ने विधानसभा में रखे विचार

कारोबारस्वास्थ्य क्षेत्र में 42000 नई नौकरी, मुख्यमंत्री यादव ने विधान सभा पटल पर रखा पक्ष