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रिजर्व बैंकः नीतिगत दर को चार प्रतिशत पर बरकरार, जानिए फैसलों की मुख्य बातें...

By भाषा | Updated: October 9, 2020 13:17 IST

केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि चौथी तिमाही तक संकुचन के दौर से वृद्धि के दौर में लौट आएगी।

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ठळक मुद्देजरूरत पड़ने पर आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिये वह उपयुक्त कदम उठाएगा। रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा।चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी दर में आ सकती है 9.5 प्रतिशत की गिरावट।

नई दिल्ली/मुंबईः रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की समीक्षा पर हुई इस साल की पांचवीं बैठक में नीतिगत दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है। नवगठित मौद्रिक नीति समिति की यह पहली बैठक हुई।

आरबीआई ने मौद्रिक नीति के मामले में नरम रुख बनाये रखा है और कहा कि जरूरत पड़ने पर आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिये वह उपयुक्त कदम उठाएगा। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि चौथी तिमाही तक संकुचन के दौर से वृद्धि के दौर में लौट आएगी।

बैठक में लिये गये फैसलों की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

-रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा।

-चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी दर में आ सकती है 9.5 प्रतिशत की गिरावट।

-जीडीपी में सितंबर तिमाही में 9.8 प्रतिशत और दिसंबर तिमाही में 5.6 प्रतिशत की गिरावट, मार्च तिमाही में 0.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान।

-अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 20.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान।

-आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिये उदार रुख बरकरार।

-दास ने कहा, कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था निणार्यक चरण में प्रवेश कर रही है।

-अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में आई गिरावट पीछे छूट चुकी है, स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं।

-नियंत्रण अथवा अंकुश लगाने के बजाय अब अर्थव्यवस्था को उबारने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत।

-चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के दायरे में आ जाने का अनुमान।

-मुद्रास्फीति के सितंबर तिमाही में 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान।

-मुद्रास्फीति में आया मौजूदा उभार अस्थाई, कृषि परिदृश्य दिख रहा उज्ज्वल, कच्चे तेल की कीमतें दायरे में रहने की उम्मीद।

-रियल टाइम फंड ट्रांसफर के लिये दिसंबर से चौबीसों घंटे काम करेगी आरटीजीएस प्रणाली।

-रिजर्व बैंक प्रणाली में संतोषजनक तरलता की स्थिति बनाये रखेगा, अगले सप्ताह खुले बाजार परिचालन के तहत 20,000 करोड़ रुपये जारी किये जायेंगे।

केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘ मौजूदा और उभरती वृहत आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को हुई बैठक में सभी सदस्यों ने आम सहमति से नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो दर को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय किया।’’ इसके साथ रिवर्स रेपो 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) तथा बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी। रेपो दर वह ब्याज है जिस पर बैंक रिजर्व बैंक से नकदी की फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज लेते हैं जबकि रिवर्स रेपो बैंक द्वारा आरबीआई को दिये जाने वाले कर्ज या उसके पास रखने वाली राशि पर मिलने वाला ब्याज है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए यह भी कहा कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिये उदार रुख को बनाये रखेगा। उदार रुख से कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यववस्था को गति देने के लिये जरूरत पड़ने पर नीतिगत दरों में कटौती की जा सकती है। आरबीआई के बयान के अनुसार यह निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचंकाक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति को 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के स्तर पर बरकरार रखने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया गया है।

केंद्रीय बैंक के अनुसार आंकड़ों के आधार पर 2020 की तीसरी तिमाही में वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में पुनरूद्धार के संकत है लेकिन कई देशों में कोविड-19 संक्रमण में नये सिरे से वृद्धि को देखते हुए जोखिम बना हुआ है। घरेलू अर्थव्यवस्था के बारे में दास ने कहा, ‘‘उच्च आवृत्ति के आंकड़े (पीएमआई, बिजली खपत आदि) संकेत देते हैं कि आर्थिक गतिविधियां 2020-21 की दूसरी तिमाही में स्थिर हुई हैं।’’

सरकार के व्यय और ग्रामीण मांग, विनिर्माण खासकर उपभोक्ता और गैर-टिकाऊ सामान के क्षेत्र में तेज होने और यात्री वाहन तथा रेल माल ढुलाई जैसे सेवाओं में दूसरी तिमाही में स्थिति बेहतर हुई है। इससे पहले, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में 23.9 प्रतिशत कीगिरावट दर्ज की गयी थी। आर्थिक वृद्धि परिदृश्य के बारे में दास ने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पुनरूद्धार मजबूत होने का अनुमान है लेकिन शहरी क्षेत्र में मांग में तेजी आने में वक्त लग सकता है। इसका कारण सामाजिक दूरी नियमों का पालन और कोविड-19 संक्रमण के बढते मामले हैं...।’’ 

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