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कोरोना वायरस के कारण राज्यों के राजकोषीय, राजस्व घाटे में बड़े उछाल का अनुमान: रेटिंग्स

By भाषा | Updated: May 26, 2020 20:20 IST

घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के आर्थिक प्रभावों के चलते चालू वित्त वर्ष में 2020-21 में तेज उछाल आने का अनुमान है।

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ठळक मुद्देरेटिंग एजेंसी ने 20 राज्यों के 2019-20 और 2020-21 में बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर के बजटीय अनुमान को संशोधित किया है। ‘लॉकडाउन’ से पहले तैयार इस अनुमान के अनुसार ज्यादातर मामलों में वृद्धि दर 10 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी।

मुंबई: कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभावों के चलते चालू वित्त वर्ष में 2020-21 में तेज उछाल आने का अनुमान है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों का राजस्व घाटा बढ़कर जीडीपी के 2.8 प्रतिशत पर पहुंचने के साथ उनका सम्मिलित राजकोषीय घाटा उछलकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत यानी 8.5 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। कोरोना वारस की रोकथाम के लिये पिछले नौ सप्ताह से जारी ‘लॉकडाउन’ के कारण अर्थव्यवस्था का पहिया लगभग थम गया। 

ऐसे में केंद्र ने संसाधन के मोर्चे पर राज्यों को राहत देने के लिये कर्ज सीमा 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने की अनुमति दे दी। केंद्र ने स्वयं अपनी उधारी सीमा में 4.2 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की है। लेकिन ज्यादातर राज्य पूरे 5 प्रतिशत (राज्य जीडीपी) तक कर्ज लेने के लिये पात्र नहीं होंगे। इसका कारण इस छूट के साथ आर्थिक सुधारों के मामले में कुछ शर्तों को भी पूरा करना है। कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। यह सब ऐसे समय हुआ है जब पिछले दो साल से अर्थव्यवस्था में नरमी थी। 

इस पर नौ सप्ताह के पूर्ण बंद से अर्थव्यवस्था का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पूरी तरह से थम गया। इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष में राज्यों की सकल और शुद्ध बाजार उधारी क्रमश: जीडीपी का 4.4 प्रतिशत और 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। राज्यों की 3 प्रतिशत कर्ज सीमा (राज्य जीडीपी का) के आधार पर वे कुल 6.4 लाख करोड़ रुपये तक कर्ज ले सकते थे। अब जब इस सीमा को 2 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है, वे चालू वित्त वर्ष में 4.28 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज ले सकते हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार लेकिन बढ़ायी गयी कर्ज सीमा में से केवल 0.5 प्रतिशत तुंरत और बिना किसी शर्त के है जबकि शेष 1.5 प्रतिशत कर्ज केंद्र द्वारा निर्धारित राज्यों के कम-से-कम चार सुधार वाले क्षेत्रों में से तीन के मामले में प्रदर्शन पर निर्भर है। ये सुधार हैं...राशन कार्ड के मोर्चे पर सुधार (एक देश-एक राशन कार्ड), बिजली वितरण में सुधार, कारोबार सुगमता आदि। रेटिंग एजेंसी ने 20 राज्यों के 2019-20 और 2020-21 में बाजार मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर के बजटीय अनुमान को संशोधित किया है। 

‘लॉकडाउन’ से पहले तैयार इस अनुमान के अनुसार ज्यादातर मामलों में वृद्धि दर 10 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ महामारी का अर्थव्यवस्था प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। देशव्यपी बंद के बार-बार बढ़ाये जाने से आर्थिक नरमी की स्थिति और बिगड़ेगी। हमारे अनुमान के अनुसार जीडीपी वृद्धि दर (बाजार मूल्य पर) 2020-21 में 0.9 प्रतिशत रहेगी।’’ इसमें कहा गया है कि मई के मध्य से ‘लॉकडाउन’ में ढील के बावजूद राज्यों का राजस्व संतुलन 2020-21 में खराब रहने की आशंका है। 

खासकर उन राज्यों का जिनका राजस्व घाटा पहले से अधिक है। राज्यों का राजस्व घाटा जीडीपी का 2.8 प्रतिशत रह सकता है जबकि पूर्व के इसके 0.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। इंडिया रेटिंग्स ने इसके अनुसार राज्यों के सकल बाजार उधारी 2020-21 के 8.25 लाख करोड़ रपये रहने का अनुमान लगाया है जबकि पूर्व में इसके 6.09 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी। राज्य राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिये अधिक कर्ज लेंगे जिससे उनकी बाजार उधारी बढ़ेगी।

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