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रिजर्व बैंक जी-सैप 2.0 के तहत 1.20 लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां खरीदेगा

By भाषा | Updated: June 4, 2021 12:39 IST

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मुंबई, चार जून रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि वह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में द्वितीयक बाजार से सरकारी प्रतिभूतियों के खरीद कार्यक्रम (जी-सैप 2.0) के तहत 1.20 लाख करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। इसका मकसद सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल को सुव्यवस्थित बनाये रखना है।

वहीं जी-सैप 1.0 के तहत केन्द्रीय बैंक एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा और इस कार्यक्रम की आखिरी खरीद 17 जून को 40,000 करोड़ रुपये की होगी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौदिक नीति की समीक्षा के बाद कहा, ‘‘7 अप्रैल 2021 के अपने वक्तव्य में मैंने यह संकेत दिया था कि जी-सैप के अलावा रिजर्व बैंक तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ), दीर्घकालिक रेपो-रिवर्स रेपो नीलामी, विदेशी मुद्रा विनिमय परिचालन और विशेष खुले बाजार कारोबार (ओएमओ) सहित खुले बाजार परिचालन में काम करता रहेगा। ऐसा सभी पक्षों के लिये वित्तीय परिस्थितियों को लगातार अनुकूल बनाये रखने और मौद्रिक नीति उपायों के अनुरूप तरलता की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिये किया जायेगा।’’

दास ने कहा कि इस साल में अब तक रिजर्व बैंक ने नियमित तौर पर ओएमओ कारोबार किया और 31 मई, 2021 तक 36,545 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी बाजार में डाली। यह राशि जी-सैप 1.0 के तहत उपलब्ध कराई गई 60,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुये यह तय किया गया है कि जी-सैप 1.0 के तहत 17 जून 2021 को 40,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों का खरीद कार्यक्रम चलाया जायेगा। इसमें 10,000 करोड़ रुपये में राज्य विकास रिण (एसडीएल) की खरीद होगी।

इसके अलावा जी-सैप 2.0 के तहत 2021- 22 की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर 2021) के दौरान बाजार को समर्थन देने के लिये 1.20 लाख करोड़ रुपये का द्वितीयक बाजार खरीद कारोबार किया जायेगा। इसके लिये तिथियों और प्रतिभूतियों के बारे में जानकारी अलग से दी जायेगी। ‘‘हमारा मानना है कि जी-सैप 2.0 की इस घोषणा को लेकर बाजार में उपयुक्त प्रतिक्रिया होगी।’’

कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवसथा को समर्थन देने के लिये सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 31 मार्च 2022 तक 12.05 लाख करोड़ रुपये के उधार की योजना रखी है। इसके परिणामस्वरूप चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में यह 9.3 प्रतिशत रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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