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आरबीआई रिपोर्ट में खुलासाः बैंक सेवाओं को लेकर शिकायतें 57% बढ़ीं, एटीएम या डेबिट कार्ड केस सबसे आगे...

By सतीश कुमार सिंह | Updated: February 10, 2021 12:30 IST

सालाना रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा कि 20 प्रतिशत से अधिक शिकायतें एटीएम या डेबिट कार्ड से जुड़ी हैं।

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ठळक मुद्दे13.38 प्रतिशत के साथ मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिग का स्थान हैं।निष्पक्ष आचरण संहिता (एफपीसी) का अनुपालन नहीं करना तीसरे स्थान पर है। नियमों का अनुपालन नहीं करने से जुड़े मामले पिछले साल के मुकाबले बढ़े हैं।

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि बैंकिंग सर्विस से जुड़ी शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं। 

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी से 30 जून 2020 तक बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी 3.08 लाख शिकायतें मिलीं। यह आंकड़ा 2019 के इसी समय के मुकाबले 57% ज्यादा है। ओम्बुड्समैन (लोक-प्रहरी) योजना पर अपनी सालाना रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा कि 20 प्रतिशत से अधिक शिकायतें एटीएम या डेबिट कार्ड से जुड़ी हैं।

20 प्रतिशत से अधिक शिकायतें एटीएम या डेबिट कार्ड

उसके बाद 13.38 प्रतिशत के साथ मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिग का स्थान हैं। निष्पक्ष आचरण संहिता (एफपीसी) का अनुपालन नहीं करना तीसरे स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार क्रेडिट कार्ड, प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करना, बिना नोटिस के शुल्क लगाना, कर्ज से जुड़े मामले तथा भारतीय बैंक संहिता तथा मानक बोर्ड (बीसीएसबीआई) नियमों का अनुपालन नहीं करने से जुड़े मामले पिछले साल के मुकाबले बढ़े हैं।

30 जून, 2020 को समाप्त साल में बढ़कर 1,406 पहुंच गई

इसमें कहा गया है कि प्रत्यक्ष बिक्री एजेंट (डीएसए) और वसूली एजेंटों से जुड़ी शिकायतें 2018-19 में 629 थी और 30 जून, 2020 को समाप्त साल में बढ़कर 1,406 पहुंच गयी। रिपोर्ट के अनुसार निपटान दर घटकर 92.36 प्रतिशत रही जो 2018-19 में 94.03 थी। इसका कारण एक तरफ शिकायतें बढ़ रही हैं जबकि उसका निपटान करने वाले कर्मचारियों की संख्या उतनी ही है।

आरबीआई ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, नकदी समर्थन के लिए सही दिशा तय की

बैंकिंग विशेषज्ञों ने कहा कि बजट के बाद आई आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सही रुख अपनाया गया है और नकदी को बढ़ावा देने के साथ ही वित्तीय बाजारों में घरेलू बचत को बढ़ाने के लिए पर्याप्त उपाए किए गए हैं।

एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, ‘‘आरबीआई की नीतिगत घोषणा में ऋण प्रबंधन के लिए एक सुव्यवस्थित, निर्बाध और सुगम नकदी प्रबंधन नीति को बनाए रखने के लिए जो भी जरूरी हो, उसे स्वीकार किया गया और जारी रखा गया है... बढ़ी हुई एचटीएम सीमा का विस्तार, एमएसएफ के तहत धन की उपलब्धता में छूट और एनबीएफसी की टीएलटीआरओ सीमा के विस्तार से ऋण प्रवाह और नकदी प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर यह नीति समीक्षा और आम बजट वृद्धि को फिर से जीवंत करने के लिए आदर्श साबित हो सकते हैं।

पंजाब नेशनल बैंक के एमडी और सीईओ एस एस मल्लिकार्जुन राव ने कहा कि नीति समीक्षा पूरी तरह केंद्रीय बजट की पूरक है और इसके वृद्धि को बल मिलेगा। बंधन बैंक के एमडी और सीईओ चंद्र शेखर घोष ने सूक्ष्मवित्त के लिए नियामक ढांचे की समीक्षा करने की आरबीआई की योजना का स्वागत किया।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग ने भरोसा जताया कि दरों में कटौती की निचली सीमा आ चुकी है, हालांकि नकदी बनी रहेगी। बैंक ऑफ इंडिया के एमडी और सीईओ ए के दास ने कहा कि आरबीआई की नीति से आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी। 

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