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रिजर्व बैंक ने रिलायंस कैपिटल के निदेशक मंडल को भंग किया, जल्द शुरू होगी दिवाला कार्यवाही

By भाषा | Updated: November 29, 2021 20:52 IST

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मुंबई, 29 नवंबर भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल लि. (आरईएल कैप) के निदेशक मंडल को भंग कर दिया। केंद्रीय बैंक जल्द ही कर्ज में डूबी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करेगा। भुगतान में चूक और कंपनी संचालन के स्तर पर गंभीर खामियों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

रिजर्व बैंक ने एक बयान मे कहा कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पूर्व कार्यकारी निदेशक नागेश्वर राव वाई को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी का प्रशासक नियुक्ति किया गया है।

इस बीच, कंपनी ने एक बयान में ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता के तहत कर्ज के समाधान को लेकर उठाये गये रिजर्व बैंक के कदम का स्वागत किया है।

बयान के अनुसार, ‘‘कंपनी सभी पक्षों के हित में कर्ज के तेजी के समाधान को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक के साथ पूरा सहयोग करेगी।’’

यह तीसरी सबसे बड़ी एनबीएफसी है जिसके खिलाफ केंद्रीय बैंक दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत दिवाला कार्यवाही शुरू करेगा।

इससे पहले, रिजर्व बैंक ने श्रेई ग्रुप की एनबीएफसी तथा दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) के खिलाफ इसी प्रकार की कार्यवाही शुरू की थी। डीएचएफएल के खिलाफ कार्यवाही पूरी हो चुकी है जबकि श्रेई का मामला अभी लंबित है।

केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘...रिजर्व बैंक ने मेसर्स रिलायंस कैपिटल लि. के निदेशक मंडल को भंग कर दिया है। कंपनी के अपने कर्जदाताओं को कर्ज लौटाने में चूक और कंपनी संचालन से जुड़ी गंभीर चिंताओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया। कंपनी का निदेशक मंडल इन मुद्दों का समाधान प्रभावी तरीके से नहीं कर पाया।’’

बयान के अनुसार, ‘‘रिजर्व बैंक जल्दी ही ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला (वित्तीय सेवा प्रदाताओं की दिवाला और परिसमापन कार्यवाही और न्यायनिर्णय प्राधिकरण को आवेदन) नियम, 2019 के तहत कंपनी को लेकर समाधान प्रक्रिया शुरू करेगा।’’

रिजर्व बैंक राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई से भी ऋण शोधन समाधान पेशेवर के रूप में प्रशासक नियुक्त करने का आग्रह करेगा।

उल्लेखनीय है कि रिलायंस कैपिटल ने सितंबर में सालाना आम बैठक में शेयरधारकों को सूचित किया था कि कंपनी के ऊपर एकीकृत रूप से 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।

कंपनी को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 1,156 करोड़ रुपये का एकीकृत नुकसान हुआ जबकि आय 6,001 करोड़ रुपये रही थी। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कंपनी को 9,287 करोड़ रुपये का घाटा हुआ जबकि कुल आय 19,308 करोड़ रुपये रही थी।

रिलायंस कैपिटल ने बयान में कहा कि कुछ कर्जदाताओं ने कानूनी कदम उठाये हैं। इससे उच्चतम न्यायालय, मुंबई उच्च न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय समेत विभिन्न मंचों पर 10 मामले लंबित हैं। इससे कंपनी के कर्ज के समाधान के प्रयास पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

बयान के अनुसार, ‘‘कंपनी का रिलायंस जनरल इंश्योरेंस (आरजीआईसी) में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस (आरएनएलआईसी) में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ लाभदायक और मूल्यवान परिचालन कारोबार है...।’’

कंपनी ने यह भी कहा कि उसके ऊपर बैंक का कोई कर्ज बकाया नहीं है और करीब 95 प्रतिशत ऋण डिबेंचर के रूप में है।

बयान के अनुसार, वह अपने कर्ज के तेजी से समाधान को लेकर सकारात्मक है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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