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राजस्‍थान चुनावः ये रहा बेरोजगारी भत्ता नया चुनावी स्टंट, BJP हर युवा को देगी 5 हजार रुपये प्रति महीने

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 29, 2018 19:58 IST

राजस्थान में भाजपा ने सत्ता में वापस आने पर 21 वर्ष से ऊपर के शिक्षित बेरोजगारों को 5 हजार रु पए प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है. वहीं, कांग्रेस ने भी यहां 3500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही है.

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बेरोजगार युवाओं की बढ़ती आबादी राजनीतिक दलों के लिए सिरदर्द साबित हो रही है. इसलिए, किसान कर्जमाफी के ढर्रे पर ही अब बेरोजगारी भत्ते का भी चुनावी वादा आम बात होती जा रही है. हालांकि ज्यादातर राज्यों के पास इतना फंड नहीं है कि युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिए जा सके, इसलिए, बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने की शर्तें ऐसी रखी जाती हैं, जिनमें बेरोजगार युवाओं का बहुत छोटा हिस्सा इनके दायरे में आ पाता है.

बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने के लिए राज्य का निवासी होना, उम्र की सीमा (कहीं 18 से 35 वर्ष तो कहीं 21 से 35 वर्ष), रोजगार केंद्रों में पंजीकरण, पारिवारिक आय (कहीं-कहीं सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों तक सीमति), माता-पिता पर पूरी निर्भरता जैसी शर्तें रखी जाती हैं. किसका क्या ऐलान?

राजस्थान में भाजपा ने सत्ता में वापस आने पर 21 वर्ष से ऊपर के शिक्षित बेरोजगारों को 5 हजार रुपए प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है. वहीं, कांग्रेस ने भी यहां 3500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही है. कांग्रेस ने तेलंगाना में 3 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया है. इधर सपा ने भी मध्यप्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान किया.

आंध्र प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले चुनाव को लेकर चंद्रबाबू नायडू ने युवा नेस्तम योजना के तहत शिक्षित बेरोजगारों को 1 हजार रुपए प्रति माह देने का ऐलान किया है. युवा निशाने पर ताजा आंकड़े के मुताबिक, देश में अभी 3 करोड़ से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं और इनकी संख्या में साल-दर-साल इजाफा होता जा रहा है. इसलिए, किसानों की तरह अब युवा भी राजनीतिक दलों के निशाने पर हैं.

दरअसल, कहा यह जाता है कि युवाओं के अपार समर्थन की वजह से ही 2014 में मोदी लहर पैदा हुई थी. कोई नहीं उठाना चाहता जहमत जिस तरह सिंचाई के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करने और किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए मंडियों को सुलभ बनाने में गंभीर योजना और लंबे वक्त की जरूरत होती है, उसी तरह युवाओं को रोजगार पाने योग्य कौशल प्रदान करने और उनके लिए पर्याप्त रोजगार पैदा करने में भी दूरदृष्टि के साथ-साथ दृढ़ इच्छा शक्ति की दरकार होती है.

कोई भी राजनीतिक दल इतना तनाव लेने की जहमत नहीं उठाना चाहता, इसलिए किसानों और युवाओं को लुभाने के लिए कर्जमाफी और बेरोजगारी भत्ते जैसा फौरी आकर्षण का जाल फेंका जाता है. तो क्या कर्जमाफी और बेरोजगारी भत्ता के वादे पूरा करना आसान है? दरअसल, ज्यादातर राज्यों के पास इतना फंड नहीं है कि युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिए जा सके.

किसी को नहीं मिल रहा केंद्र की योजना का लाभ केंद्र सरकार ने रोजगार नहीं पा सकने वालों को रूरल जॉब गारंटी स्कीम के तहत बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान कर रखा है, लेकिन इस योजना का लाभ शायद ही किसी को दिया जाता है. कई राज्य तो ऐसे बेरोजगारों का आंकड़ा भी जुटाने की जहमत नहीं करती. इसी तरह, छत्तीसगढ़, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, केरल, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में बेरोजगारों को भत्ता देने की योजना है.

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