पीएम आवास योजनाः 11 लाख पात्र लिस्ट से बाहर, अपात्रों को बांटे 9.52 करोड़?, योगी राज में सीएजी ने पाई खामियां

By राजेंद्र कुमार | Updated: December 28, 2025 17:45 IST2025-12-28T17:44:09+5:302025-12-28T17:45:29+5:30

PM Awas Yojana: पीएम आवास योजना बने अधिकांश मकान में किचन-शौचालय नहीं बने. 44 प्रतिशत पीएम आवास में जल निकासी की व्यवस्था नहीं की गई.

PM Awas Yojana 11 lakh people left out eligible list, 9-52 crore distributed ineligible people CAG finds flaws in Yogi's rule | पीएम आवास योजनाः 11 लाख पात्र लिस्ट से बाहर, अपात्रों को बांटे 9.52 करोड़?, योगी राज में सीएजी ने पाई खामियां

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HighlightsPM Awas Yojana: 11.35 लाख पात्र लाभार्थियों को स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर कर दिया गया.PM Awas Yojana: 53 प्रतिशत आपत्तियां एक से छह साल बाद भी अनिस्तारित हैं.PM Awas Yojana: 34.18 लाख (लगभग 98.47 प्रतिशत) का निर्माण मार्च 2024 में पूरा हो गया था.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण नौकरशाही की मनमानी का शिकार हो रही है. अफसरों की मनमानी का आलम यह है कि इस योजना में 11.35 लाख पात्र लाभार्थियों को स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर कर दिया गया. वही दूसरी तरफ 1838 अपात्रों को 9.52 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी गई. यही नहीं इस योजना में  वर्ष 2016 से वर्ष 2023 के दौरान स्वीकृत 34.71 लाख आवास में से 20,215 आवास मार्च 2025 तक अधूरे बने मिले. जबकि उनके पूरे होने की 12 माह की निर्धारित समय सीमा पूरी हो चुकी थी. अधूरे आवासों में किसी में किचन नहीं बनाया गया था तो किसी में बाथरूम नहीं बना था. मकान की कमरों में प्लास्टर भी नहीं किया गया. बनाए गए 44 प्रतिशत पीएम आवास में जल निकासी की व्यवस्था नहीं की गई थी.

सीएजी ने किया नौकरशाहों ही सुस्ती का खुलासा

योगी राज में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में बनाए गए आवासों की दशा का यह ब्यौरा रत के लेखा महापरीक्षक (सीएजी) की विधानमंडल में पेश की गई रिपोर्ट दर्ज है. इस रिपोर्ट में  यूपी के भीतर पीएम आवास योजना के क्रियान्वयन में तमाम खामियों पर सवाल उठाए हैं. इसमें लिखा गया है कि अप्रैल 2017 से मार्च 2023 तक की सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार यूपी के भीतर इस योजना में 1838 अपात्रों को 9.52 करोड़ रुपए की धनराशि जारी कर दी गई. जबकि उक्त आवास पाने की योग्यता रखने वाले 11.35 लाख पात्र लाभार्थियों को स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर कर दिया गया.

यही नहीं उक्त योजना में मिली  53 प्रतिशत आपत्तियां एक से छह साल बाद भी अनिस्तारित हैं. सीएजी की यह रिपोर्ट उक्त योजना के क्रियान्वयन में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों की सुस्ती का खुलासा करती है. जबकि सरकार यह दावा करती है कि पीएम आवास योजना के तहत यूपी लोगों को देने में अव्वल है, लेकिन वह आवास कैसे बनाए जा रहे है, इसकी हकीकत रिपोर्ट में दर्ज है.

आवासों की दीवार पर नहीं था प्लास्टर, नहीं बना शौचालय

सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण विकास विभाग को मार्च 2024 तक 36.15 लाख आवास के निर्माण का लक्ष्य दिया गया था. सीएजी ने पाया कि  अप्रैल 2017 से मार्च 2023 तक  स्वीकृत 34.71 लाख आवास में से 34.18 लाख (लगभग 98.47 प्रतिशत) का निर्माण मार्च 2024 में पूरा हो गया था.

सीएजी ने बन गए मकानों के निर्माण की गुणवत्ता चेक करने के लिए 2,079 बन चुके आवासों का सत्यापन किया. तो सीएजी की  टीम को 74% आवासों की दीवारों पर प्लास्टर नहीं मिला, 54% आवास में भोजन पकाने के लिए रसोई नहीं थी. 58% आवास में स्नानागार और 44% आवास में जल निकासी की व्यवस्था नहीं मिली.

इसके अलावा 82% आवास में योजना का प्रतीक चिन्ह भी नहीं बना था. 39 प्रतिशत आवास में शौचालय  , 39 प्रतिशत आवास में रसोई गैस कनेक्शन , 30 प्रतिशत आवास में बिजली कनेक्शन और 89 प्रतिशत आवास में पाइप पेयजल कनेक्शन नहीं मिला.

कदम-कदम पर अफसरों की लापरवाही मिली

सीएजी की टीम को इस योजना में कार्यरत अफसरों की लापरवाही कदम-कदम पर दिखी. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम आवास योजना के लाभार्थियों के सत्यापन में सावधानी नहीं बरती गई. इस वजह से 1838 अपात्र लाभार्थियों को 9.52 करोड़ रुपए की धनराशि जारी कर दी गई. इसकी जानकारी होने के बाद भी अपात्र लाभार्थियों से 2.62 करोड़ रुपए सितंबर 2024 तक वसूल नहीं किए जा सके हैं.

यही नहीं वर्ष 2017 से 2020 में संदिग्ध साइबर अपराध के कारण 159 लाभार्थियों को दिए जाने वाले 86.20 लाख रुपए  अन्य व्यक्तियों के खाते में ट्रांसफर हो गए और यह मामला भी अक्टूबर 2024 तक अनिर्णीत पड़ा रहा. सीएजी रिपोर्ट में योजना से बाहर रह गए परिवारों की पहचान कराने को लेकर भी आपत्ति जताई है.

रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2024 में आवास प्लस सर्वेक्षण में ऐसे परिवारों की 33.64 लाख थी, लेकिन स्थायी प्रतीक्षा सूची में 22.29 लाख लाभार्थियों को ही जगह दी गई. इसे लेकर रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि सर्वेक्षण में लाभार्थियों की पहचान के बाद एक बड़े हिस्से को स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर रखा जाना,

या तो सर्वेक्षण में गलतियों के कारण हुआ या फिर आंकड़ों में गड़बड़ी के कारण पात्र परिवारों को बाहर रखा गया. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वर्ष 2018-23 में ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 50,771 प्रशिक्षुओं को 28.70 करोड़ रुपए मजदूरी की क्षतिपूर्ति का भुगतान अक्टूबर 2024 तक नहीं किया गया.

उप मुख्यमंत्री का दावा

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की खामियों को लेकर सीएजी की रिपोर्ट में किए गए उक्त खुलासे के बाद राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस योजना की खामियों को जल्द से जल्द दूर करने की दावा किया है. उन्होंने राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 50,771 प्रशिक्षुओं को 28.70 करोड़ रुपए मजदूरी की क्षतिपूर्ति का भुगतान भी जल्दी ही कराए जाने की बात कही और यह दावा भी किया है कि पीएम आवास योजना के आवास के अधूरे निर्माण कार्य तय समय में कराने की व्यवस्था वह करेंगे. 

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