‘हमारी दुर्दशा देखकर हमारे बच्चे किसान नहीं बनना चाहते’ : आंदोलनकारी किसान

By भाषा | Updated: December 5, 2020 21:44 IST2020-12-05T21:44:43+5:302020-12-05T21:44:43+5:30

'Our children do not want to become farmers after seeing our plight': agitating farmers | ‘हमारी दुर्दशा देखकर हमारे बच्चे किसान नहीं बनना चाहते’ : आंदोलनकारी किसान

‘हमारी दुर्दशा देखकर हमारे बच्चे किसान नहीं बनना चाहते’ : आंदोलनकारी किसान

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर सर्द हवाओं को झेलते हुए अपनी मांगों को मनवाने के लिए दिल्ली की सीमा पर लंबी लड़ाई की तैयारी में जुटे हजारों किसानों में से कुछ ने कहा कि उनकी दुर्दशा देखकर उनके बच्चे अब खेती को अपनाने की इच्छा नहीं रखते।

हसीब अहमद, जो पिछले शनिवार से गाजीपुर की सीमा पर केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे हैं, कहते हैं कि उनके दो बच्चे उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में अपने गांव में ऑनलाइन कक्षाओं में व्यस्त हैं और दोनों बेहतर जीवन स्तर चाहते हैं।

अहमद ने कहा कि उनका बड़ा बेटा 12वीं कक्षा में है, जबकि छोटा कक्षा नौ में है। ‘‘दोनों में से कोई भी खेती की ओर नहीं जाना चाहता। उनकी अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं और वे अच्छी नौकरी करना चाहते हैं। उनका कहना है कि वे किसान नहीं बनना चाहते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी ऊपज के लिए जिस मूल्य की हमें पेशकश की जाती है, उससे हम उन्हें खाना और बुनियादी शिक्षा ही दे सकते हैं। इससे आगे कुछ भी नहीं। वे यह देखकर निराश हो जाते हैं कि इतनी मेहनत करने के बावजूद, हमें उचित लाभ नहीं मिलता।’’

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के एक अन्य किसान सीता आर्य ने कहा कि उनके बच्चे भी धीरे-धीरे खेती से अलग होने की कोशिश कर रहे हैं। ‘‘वे रोजीरोटी के लिए बीड़ी, तम्बाकू या पान की दुकान में बैठने को भी तैयार हैं।’’

आंदोलनकारी किसानों ने जोर देकर कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है, तब तक वे राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं से कहीं भी नहीं जाएंगे और उनका विरोध जारी रहेगा।

उत्तर प्रदेश के एक 65 वर्षीय किसान दरियाल सिंह ने बताया कि उनके गांव के नौजवान 2,000 रुपये में एक व्यापारी के यहां काम करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे किसान बनने की इच्छा नहीं रखते।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्षो से उन्होंने अपने परिवारों को कृषि ऋण प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते देखा है। जो भी पैसा वे खेती से निकालते हैं, उसका एक अच्छा खासा हिस्सा ऋण चुकाने में चला जाता है, और उनके पास बहुत कम धन बचता है।

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Web Title: 'Our children do not want to become farmers after seeing our plight': agitating farmers

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