नयी दिल्ली, 19 सितंबर चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) ने कहा है कि जीएसटी परिषद द्वारा एक जनवरी, 2022 से चमड़े के जूते-चप्पलों (फुटवियर) पर उलट शुल्क ढांचे को ठीक करने के फैसले से क्षेत्र से कर का बोझ घटेगा और कृत्रिम रेशे (एमएमएफ) के कपड़े तथा परिधानों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।
सीएलई के चेयरमैन संजय लीखा ने कहा कि 1,000 रुपये से कम मूल्य के चमड़ा फुटवियर पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर पांच प्रतिशत है। इससे अधिक मूल्य पर यह 18 प्रतिशत है। वहीं इन फुटवियर के निर्माण में काम आने वाले सामान (इनपुट) पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने फुटवियर पर जीएसटी की दर को सुसंगत करने का सुझाव दिया था।’’
जीएसटी परिषद की 17 सितंबर को हुई बैठक में एक जनवरी, 2022 से फुटवियर तथा कपड़े पर उलट शुल्क ढांचे को ठीक करने पर सहमति बनी।
उन्होंने कहा कि उलट शुल्क ढांचा उद्योग के लिए एक मुद्दा था और परिषद ने सरकार से इस विसंगति को समाप्त करने की मांग की थी। इसके तहत इनपुट कर क्रेडिट के संग्रहण से कंपनियों की महत्वपूर्ण कार्यशील पूंजी ब्लॉक हो रही थी।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।