शहरी सहकारी बैंकों का एनपीए, घाटा बढ़ा; एनबीएफसी के भी लाभ पर पड़ सकता है असर: आरबीआई

By भाषा | Updated: December 29, 2020 23:30 IST2020-12-29T23:30:38+5:302020-12-29T23:30:38+5:30

NPAs of urban co-operative banks, deficit widened; NBFCs may also have an impact on profits: RBI | शहरी सहकारी बैंकों का एनपीए, घाटा बढ़ा; एनबीएफसी के भी लाभ पर पड़ सकता है असर: आरबीआई

शहरी सहकारी बैंकों का एनपीए, घाटा बढ़ा; एनबीएफसी के भी लाभ पर पड़ सकता है असर: आरबीआई

मुंबई, 29 दिसंबर रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में शहरी सहकारी बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी, जो साल भर पहले 7.3 प्रतिशत थी। साथ ही रिजर्व बैंक ने यह भी कहा कि आने वाले समय में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लाभ पर असर देखने को मिल सकता है।

रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट ‘ट्रेंड्स एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया’ में कहा कि संपत्ति की गुणवत्ता के लिहाज से देखा जाये तो सबसे निचली डी श्रेणी में शामिल हुए शहरी सहकारी बैंकों की संख्या भी पिछले वित्त वर्ष में बढ़ी।

यह ध्यान देने योग्य बात है कि खराब रूप से संचालित शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) में खराब संपत्ति की समस्या का एक प्रमुख कारण है। पीएमसी बैंक जैसे शहरी सहकारी बैंकों की खराब स्थिति के लिये एनपीए के उच्च स्तर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

इस साल की शुरुआत में, सरकार ने आरबीआई को यूसीबी पर अधिक नियामकीय शक्तियां देने के लिये बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन किया था।

आरबीआई ने कहा कि 1,539 यूसीबी में सकल एनपीए की मात्रा एक साल पहले के 22,093 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2019-20 में 33,010 करोड़ रुपये हो गयी।

रिजर्व बैंक ने इस रिपोर्ट में यह भी कहा कि कर्ज की कम मांग तथा फंसे कर्ज के चलते आने वाले समय में एनबीएफसी के लाभ पर असर पड़ सकता है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि ऋण की कमी, ऋण की कम मांग और नकदी को संरक्षित रखने की प्रवृत्ति के कारण एनबीएफसी की लाभप्रदता कम हो सकती है।

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Web Title: NPAs of urban co-operative banks, deficit widened; NBFCs may also have an impact on profits: RBI

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