तेल बॉड के बोझ से पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती की गुंजाइश नहीं: सीतारमण

By भाषा | Updated: August 16, 2021 20:47 IST2021-08-16T20:47:55+5:302021-08-16T20:47:55+5:30

No scope for reduction of excise duty on petrol, diesel due to the burden of oil bond: Sitharaman | तेल बॉड के बोझ से पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती की गुंजाइश नहीं: सीतारमण

तेल बॉड के बोझ से पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क कटौती की गुंजाइश नहीं: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अब तक के सबसे उच्चस्तर पर पहुंचे पेट्रोल, डीजल के दाम में कमी के लिये उत्पाद शुल्क में कटौती से इनकार करते हुये कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इन ईंधनों पर दी गई भारी सब्सिडी के एवज में किये जा रहे भुगतान के कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई थी। तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिये कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉंड जारी किए थे। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डालर प्रति बैरल से ऊपर निकल गये थे। ये तेल बांड अब परिपक्व हो रहे हैं। सरकार इन बॉंड पर ब्याज का भुगतान भी कर रही है। सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि मुझ पर आयल बॉंड का बोझ नहीं होता तो मैं ईंधनों पर उत्पाद शुलक कम करने की स्थिति में होती। पिछली सरकार ने आयल बॉंड जारी कर हमारा काम मुश्किल कर दिया। मैं यदि कुछ करना भी चाहूं तो भी नहीं कर सकती क्योंकि मैं काफी कठिनाई से आयल बांड के लिये भुगतान कर रही हूं।’’ सीतारमण ने कहा कि पिछले सात सालों के दौरान तेल बांड पर कुल मिलाकर 70,195.72 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि 1.34 लाख करोड़ रुपये के जारी तेल बांड पर केवल 3,500 करोड़ रुपये की मूल राशि का भुगतान हुआ है और शेष 1.30 लाख करोड़ रुपये का भुगतान इस वित्त वर्ष से लेकर 2025-26 तक किया जाना है। सरकार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 10,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपये और उससे अगले साल में 52,860.17 करोड़ तथा 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। उन्होंने कहा, ‘‘ब्याज भुगतान और मूल राशि को लौटाने में बड़ी राशि जा रही है, यह अनुचित बोझ मेरे ऊपर है। वर्ष 2014-15 में बकाया राशि 1.34 लाख करोड़ रुपये थे और ब्याज का 10,255 करोड़ रुपये का भुगतान होना था। वर्ष 2015-16 से हर साल का ब्याज भुगतान 9,989 करोड़ रुपये का है।’’ सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को पिछले साल 19.98 रुपये से बढ़ाकर 32.9 रुपये प्रति लीटर कर दिया। महामारी के दौरान जहां एक तरफ मांग काफी कम रह गई वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम गिर गये। ऐसे में सरकार ने उत्पाद शुल्क बढ़ाया। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री रामेश्वर तेली ने पिछले महीने संसद को बताया कि केन्द्र सरकार को पेट्रोल और डीजल से कर प्राप्ति 31 मार्च को समाप्त वर्ष में 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई जो कि एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये रही थी। महामारी पूर्व वर्ष 2018-19 में यह 2.13 लाख करोड़ रुपये रही थी। इससे यह माना जा रहा है कि उत्पाद शुल्क वृद्धि से प्राप्त राशि तेल कंपनियों को दी जाने वाली राशि से कहीं ज्यादा है। पिछले साल उत्पाद शुल्क वृद्धि के कारण पेट्रोल, डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं हुई क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनके दाम नीचे आ गये थे। लेकिन जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने लगे तो यहां खुदरा बाजार में पेट्रोल, डीजल के दाम भी आसमान छूने लगे। आधे से ज्यादा देश में पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर से ऊपर पहुंच गये वहीं राजस्थान, मध्य प्रदेश और ओडिशा में डीजल भी 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गया। सीतारमण ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का विकल्प खुला रखा है। ‘‘जब कभी राज्य इसके लिये तैयार होंगे, इसे जीएसटी के तहत ला दिया जायेगा।’’ माना जा रहा है कि जीएसटी के दायरे में आने से पेट्रोलियम पदार्थों पर कर का बोझ कुछ कम होगा और कर के ऊपर कर लगने से बचा जा सकेगा।

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Web Title: No scope for reduction of excise duty on petrol, diesel due to the burden of oil bond: Sitharaman

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