नीति आयोग की विनिवेश के लिये कंपनियों की अगली सूची कुछ सप्ताह में: राजीव कुमार

By भाषा | Updated: February 4, 2021 17:08 IST2021-02-04T17:08:22+5:302021-02-04T17:08:22+5:30

NITI Aayog's next list of companies for disinvestment in a few weeks: Rajiv Kumar | नीति आयोग की विनिवेश के लिये कंपनियों की अगली सूची कुछ सप्ताह में: राजीव कुमार

नीति आयोग की विनिवेश के लिये कंपनियों की अगली सूची कुछ सप्ताह में: राजीव कुमार

नयी दिल्ली, चार फरवरी नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि संस्थान विनिवेश के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की अगली सूची कुछ सप्ताह में तैयार कर लेगा। उन्होंने उम्मीद जतायी कि प्रस्तावित संपत्ति पुनर्निर्माण और प्रबंधन कंपनियां बैंकों के फंसे कर्ज की समस्या का समाधान करेंगी और उनका काम वैसे ही अच्छा होगा जैसा कि यूटीआई के मामले में देखा गया था।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में बजट पेश किये जाने के कुछ दिनों बाद कुमार ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिये निरंतर प्रतिबद्धता दिखायी है।

अगले दौर की हिस्सेदारी बिक्री के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की सूची के बारे में कुमार ने कहा, ‘‘अब प्रक्रिया शुरू हुई है...हम अगले कुछ सप्ताह में अगली सूची तैयार कर लेंगे। हमें इस संबंध में कदम उठाने का आदेश मिला है।’’

विनिवेश में तेजी लाने को लेकर सीतारमण ने सोमवार को अपने बजट भाषण में कहा कि नीति आयोग सार्वजनिक उपक्रमों की अगली सूची तैयार करेगा और हम उन कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश करेंगे।

आयोग पहले ही विनिवेश को लेकर पांच अलग-अलग समूह में अपनी सिफारिशें दे चुका है।

बैंक में फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या के समाधान के लिये संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी और संपत्ति प्रबंधन कंपनी के गठन के प्रस्ताव पर कुमार ने कहा कि बैंक_और कंपनियों के हिसाब-किताब पर जुड़वा दबाव (कंपनियों को दिये गये कर्ज की वापसी नहीं होने से फंसे कर्ज में वृद्धि और इससे ऋण देने की क्षमता पर असर) है, ऐसे में यह जरूरी है कि वे फिर से कर्ज देना शुरू करें।’’

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ऐसा नहीं होने पर, बैंकें के बही-खातों को बेहतर करने में काफी लंबा समय लगता अथवा उन्हें इससे उबारने के लिये बड़ी पूंजी उपलब्ध करानी पड़ती।’’ इसका दूसरा रास्ता यही है कि इन गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों को बैंकों के बही-खातों से अलग किया जाए।

कुमार ने कहा, ‘‘उम्मीद है, प्रस्तावित संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी और संपत्ति प्रबंधन कंपनी वैसा ही काम करेंगी जैसा कि यूटीआई (यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया) ने एक समय किया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इससे बैंकों की स्थिति मजबूत होगी और वे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को ज्यादा कर्ज दे सकेंगे।’’

बजट में कर छूट के रूप में मध्यमवर्ग के लिये कुछ नहीं होने को लेकर की जा रही आलोचना के बारे में कुमार ने कहा, ‘‘लोगों की हमेशा यह उम्मीद होती है कि सरकार उन्हें कुछ दे। इसे तर्कसंगत बनाने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात को मानता हूं कि अर्थव्यवस्था को चलाने में करदाताओं का बड़ा योगदान है। लेकिन इस कठिन समय में हम सभी को कुछ धैर्य रखने की जरूरत है और बुनियादी ढांचा में सुधार के लिये जरूरी संसाधन जुटाने तथा अर्थव्यवस्था में निवेश परिवेश में सुधार को लेकर मिलकर काम करने की आवश्यकता है।’’

केंद्र के नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि ये सुधार सभी दलों के एजेंडे में रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के कामकाज में सुधार लाने और किसानों के कल्याण को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्हें नहीं लगता कि सरकार पर भरोसा नहीं करने का कोई कारण है।

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