एमएसएमई के लिये नीतिगत स्तर पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत, सरकार हर कदम उठाएगी: कुमार

By भाषा | Updated: July 30, 2021 19:14 IST2021-07-30T19:14:51+5:302021-07-30T19:14:51+5:30

MSMEs need the most attention at the policy level, the government will take every step: Kumar | एमएसएमई के लिये नीतिगत स्तर पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत, सरकार हर कदम उठाएगी: कुमार

एमएसएमई के लिये नीतिगत स्तर पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत, सरकार हर कदम उठाएगी: कुमार

नयी दिल्ली, 30 जुलाई नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शुक्रवार को कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिये नीतिगित स्तर पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है और सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, वो कदम उठाएगी।

इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (आईएसआईडी) के ऑनलाइन कार्यक्रम में कुमार ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एमएसएमई क्षेत्र की मदद के लिए कई उपायों की घोषणा की है।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी पक्षों को एमएसएमई क्षेत्र के लिये नीतिगत स्तर पर सर्वाधिक ध्यान देने की जरूरत है। एमएसएमई के लिये काफी कुछ लिखा गया है लेकिन क्षेत्र के लिये कुछ चुनौतियां हाल तक बनी हुई थी।’’

कुमार ने कहा कि एमएसएमई की आय में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है और इस क्षेत्र की तीन में से एक के लाभ और आय में महामारी के दौरान गिरावट आयी। ‘‘एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए जो भी आवश्यक होगा, हम उसे करेंगे।’’

उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र की मदद के लिये उठाये गये कदमों का जिक्र किया। आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 2.73 लाख करोड़ रुपये जारी किये हैं।

एमएसएमई के लिए जोखिम पूंजी आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव और सरकार द्वारा घोषित श्रम सुधारों के साथ, भारत के लघु तथा मझोले उद्यम अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत के निर्यात में एमएसएमई क्षेत्र की हिस्सेदारी 49.8 प्रतिशत है। कुल 6.3 करोड़ एमएसएमई में से 99 प्रतिशत इकाइयां सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में हैं जबकि एक प्रतिशत इकाइयां लघु एवं मझोले उद्यमों की श्रेणी में हैं।

कुमार ने अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया। यह अभी सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत से भी कम है।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) व्यवस्था को सुधार कर उसे प्रौद्योगिकी एवं प्रक्रिया के ज्ञान केंद्र का रूप देने, एमएसएमई की परिभाषा में हर स्तर और विभाग के लिए एक रूपता लाने, और सूक्ष्म तथा लघु इकइयों के विधिवत पंजीकरण तथा डाटा आधार को व्यापक बनाए जाने की जतरूरत पर बल दिया गया।

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