किसान संगठनों का आंदोन: सरकार ने कहा किसानों की मौत का उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं

By भाषा | Updated: July 23, 2021 19:30 IST2021-07-23T19:30:45+5:302021-07-23T19:30:45+5:30

Movement of farmers' organizations: Government said that it has no record of farmers' death | किसान संगठनों का आंदोन: सरकार ने कहा किसानों की मौत का उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं

किसान संगठनों का आंदोन: सरकार ने कहा किसानों की मौत का उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं

नयी दिल्ली, 23 जुलाई केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ वर्ष 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान मृत किसानों का सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद को यह जानकारी दी।

तोमर ने यह भी कहा कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों के बारे में किसानों के मन में आशंकाओं का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं कराया है।

तीन कानूनों के विरोध में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। इनमें से 200 किसानों का एक छोटा समूह अब विशेष अनुमति मिलने के बाद मध्य दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को वर्ष 2020 के बाद से कृषि कानून के विरोध के दौरान मारे गए किसानों की कुल संख्या के बारे में पता है, तोमर ने कहा, ‘‘भारत सरकार के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है।’’

राज्यसभा में अपने लिखित उत्तर के दौरान उन्होंने कहा कि हालांकि, केंद्र सरकार ने किसान संघों के साथ चर्चा के दौरान उनसे अपील की थी कि उस समय की ठंड और कोविड​​​​-19 की स्थिति को देखते हुए बच्चों और बुजुर्गों, विशेषकर महिलाओं को घर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

इसके अलावा, एक अलग जवाब में, तोमर ने कहा, ‘‘इन कृषि कानूनों के कारण किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं के कारणों का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं कराया गया है।’’

उन्होंने कहा कि हालांकि, केंद्र ने किसानों की आशंकाओं को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं।

यह कहते हुए कि सरकार किसानों के मुद्दों के प्रति गंभीर और संवेदनशील है, मंत्री ने कहा कि केंद्र किसान संघों के साथ सक्रिय चर्चा में लगा हुआ है।

उन्होंने कहा कि मुद्दों को सुलझाने के लिए अब तक सरकार और आंदोलनकारी किसान संघों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि सभी दौर की चर्चाओं में, सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि कानूनों को निरस्त करने पर जोर देने के बजाय, किसान संघों को विशिष्ट खंडों पर अपनी चिंताओं के बारे में चर्चा करनी चाहिए ताकि उनके मुद्दों का समाधान किया जा सके।

उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न दौर की चर्चाओं के दौरान, सरकार ने लगातार किसान संघों से कृषि कानूनों के प्रावधानों पर चर्चा करने का अनुरोध किया, ताकि यदि किसी प्रावधान पर आपत्ति हो, तो उनके समाधान की दिशा में प्रगति की जा सके। लेकिन किसान संघों ने केवल कृषि कानूनों को रद्द करने पर जोर दिया।

सरकार और यूनियनों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी को किसानों के विरोध प्रदर्शन के तहत एक ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद बातचीत फिर से शुरू नहीं हुई है।

उच्चतम न्यायालय ने तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।मसले का समाधान खोजने के लिए न्यायालय ने एक समिति का गठन किया था जिसकी रपट मिल चुकी चुकी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Movement of farmers' organizations: Government said that it has no record of farmers' death

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे