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मंत्रीस्तरीय समिति निर्णय करेगी कि प्रत्येक रणनीतिक क्षेत्र में कितने लोक उपक्र रहेंगे: दीपम सचिव

By भाषा | Updated: February 3, 2021 19:07 IST

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नयी दिल्ली, तीन फरवरी निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडे ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत मंत्रियों की समिति इस बात का अंतिम निर्णय करेगी कि प्रत्येक रणनीतिक क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कितनी कंपनियों को रखा जाए।

सरकार ने बजट में विनिवेश/रणनीतिक विनिवेश नीति का प्रस्ताव किया। और चार क्षेत्रों...परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा; परिवहन और दूरसंचार; बिजली पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज; तथा बैंक...को रणनीतिक क्षेत्रों में रखा है। इन क्षेत्रों में न्यूनतम संख्या में केंद्रीय लोक उपक्रमों को रखा जाएगा।

अन्य क्षेत्रों के केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीएसई) का निजीकरण किया जाएगा।

नीति आयोग उन केंद्रीय लोक उपक्रमों की प्रारंभिक सूची तैयार करेगा जिसे रणनीतिक बिक्री के लिये आगे बढ़ाया जा सके।

सार्वजिक उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी का प्रबंधन करने वाला विभाग दीपम के सचिव ने कहा कि रणनीतिक निवेश नीति एक महत्वपूर्ण बदलाव है। इससे निजी कंपनियों को मोटे तौर पर यह पता होगा कि कौन सी कंपनियां बिक्री के लिये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कम-से-कम संख्या में कंपनियों को रखने का विचार है। मंत्री समूह (जीओएम) बनाया गया है जो एक वैकल्पिक व्यवस्था है। इसमें वित्त मंत्री, सड़क परिवहन मंत्री और संबंधित इकाइयों के प्रशासनिक मंत्रालयों के मंत्री इसमें शामिल हों। समूह इस बात का निर्णय करेगा कि किसी खास क्षेत्र के लिये न्यूनतम संख्या क्या होगी जिसे कायम रखे जाने की जरूरत है।’’

पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘रणनीतिक क्षेत्रों को चार श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है...राष्ट्रीय सुरक्षा, महत्वपूर्ण ढांचागत सुविधाएं, ऊर्जा और खनिज तथा वित्तीय सेवाएं।’’

उन्होंने कहा कि यथासंभव कम संख्या रखने का मतलब है कि शेष का निजीकरण किया जा सकता है, या उसे बंद अथवा विलय या फिर अन्य केंद्रीय लोक उपक्रमों की अनुषंगी इकाई बनाया जा सकता है।

पांडे ने कहा, ‘‘अत: सार्वजनिक क्षेत्र का बड़े पैमाने पर पुनर्गठन किया जा रहा है। इस नीति पर अगले कुछ साल तक काम होगा। इससे सरकार दूसरे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान दे सकेगी। साथ ही इससे निजी क्षेत्र के लिये संकेत मिलेगा कि सरकार के दिमाग में क्या है। पूंजी निर्माण के लिये यह जरूरी है कि निजी क्षेत्र की रूचि जगे।’’

सरकार ने अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंक और एक साधारण बीमा कंपनी शामिल हैं।

चालू वित्त वर्ष के लिये विनिवेश लक्ष्य संशोधित कर 32,000 करोड़ रुपये किया गया है। जबकि बजट में 2.10 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। कोविड-19 महामारी के कारण सरकार के केंद्रीय लोक उपक्रमों में हिस्सेदारी बेचने का कार्यक्रम प्रभावित हुआ।

बजट में यह भी कहा गया है कि रुग्न या घाटे में चल रही कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से पूरी करने के लिये संशोधित व्यवस्था लायी जाएगी।

पांडे ने कहा, ‘‘कंपनी को बंद करने में काफी समय लगता है। लोक उपक्रम विभाग इस पर काम कर रहा है कि कैसे इकाइयों को शीघ्रता से बंद किया जा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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