पहले से तैयार समाधान प्रक्रिया कंपनियों को परिसमापन से दूर रखने का साधन: आईबीबीआई प्रमुख

By भाषा | Updated: April 6, 2021 21:14 IST2021-04-06T21:14:56+5:302021-04-06T21:14:56+5:30

Means to keep pre-prepared solution process companies out of liquidation: IBBI chief | पहले से तैयार समाधान प्रक्रिया कंपनियों को परिसमापन से दूर रखने का साधन: आईबीबीआई प्रमुख

पहले से तैयार समाधान प्रक्रिया कंपनियों को परिसमापन से दूर रखने का साधन: आईबीबीआई प्रमुख

नयी दिल्ली, छह अप्रैल भारतीय ऋण शोधन और दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) के चेयरमैन एम एस साहू ने कहा है कि ऋण शोधन कानून के तहत दबाव वाली संपत्तियों के लिये पहले से तैयार समाधान व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें कंपनियों के परिसमापन में जाने की आशंकायें दूर होंगी। इससे लंबी कानूनी लड़ाइयों से बचा जा सकेगा क्योंकि संबंधित पक्षों के बीच इसको लेकर पहले से एक समझ होगी।

सरकार ने ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत दबाव वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की मदद के लिये पहले से तैयार समाधान प्रणाली का कानून में प्रावधान किया है। आईबीसी में अध्यादेश के जरिये संशोधन कर इस प्रावधान को शामिल किया गया है।

साहू ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कंपनी ऋण शोधन समाधान प्रक्रिया में अगर कोई समाधान योजना प्राप्त नहीं होती है या मंजूरी नहीं मिलती है, कंपनी परिसमापन की दिशा में चली जाती है। पहले से तैयार समाधान व्यवस्था के अंतर्गत अगर समाधान योजना नहीं है, तो प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी लेकिन कंपनी परिसमापन के लिये नहीं जाएगी। यानी पहले से तैयार रूपरेखा परिसमापन से दूर रखने वाली समाधान प्रक्रिया है।’’

उन्होंने कहा कि पहले से तैयार व्यवस्था में संबंधित पक्ष समाधान योजना तैयार करने के बाद उसकी स्वीकृति के लिये राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से संपर्क करते हैं। इसीलिए, समाधान प्रक्रिया को पूरा करने के लिये जो समय की जरूरत पड़ती है, वह इस व्यवस्था में काफी कम है।

फिलहाल, पहले से तैयार रूपरेखा एमएसएमई के लिये उपलब्ध होगी। ऐसी इकाइयां कोरोना वायरस महामारी से उल्लेखनीय रूप से प्रभावित हुई हैं।

आईबीबीआई प्रमुख ने कहा, ‘‘पहले से तैयार रूपरेखा, पहले से तैयार खाने के समान है। आपको उसे जगह पर लाना है, उसे गर्म कीजिएं और खाइये... कई कार्य पहले ही पूरे कर लिये जाते हैं और औपचारिक प्रक्रिया शुरू होने के साथ चीजें आसान होती हैं।’’

उन्होंने कहा कि इसको लेकर संबंधित पक्षों के बीच एक व्यापक समझ रहती है कि उन्हें इस प्रक्रिया के जरिये क्या मिलना है। ऐसे में एनसीएलटी के समक्ष कानूनी लड़ाई की आशंका सीमित होती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा था कि मामलों के तेजी से निपटान के लिये एनसीएलटी रूपरेखा को सुदृढ़ किया जाएगा, ई-अदालत व्यवस्था लागू की जाएगी और एमएसएमई के लिये कर्ज समाधान के वैकल्पिक उपाय तथा विशेष व्यवस्था की जायेगी।

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