बीते सप्ताह सरसों, सीपीओ, पामोलीन में सुधार, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला में गिरावट

By भाषा | Updated: December 6, 2020 11:00 IST2020-12-06T11:00:41+5:302020-12-06T11:00:41+5:30

Last week mustard, CPO, improvement in palmolein, decline in groundnut, soybean and cottonseed | बीते सप्ताह सरसों, सीपीओ, पामोलीन में सुधार, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला में गिरावट

बीते सप्ताह सरसों, सीपीओ, पामोलीन में सुधार, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला में गिरावट

नयी दिल्ली, छह दिसंबर पाम तेल के बड़े निर्यातक देश इंडोनेशिया में इस तेल के निर्यात शुल्क को 30 डॉलर प्रति टन और लेवी को 55 डॉलर से बढ़ाकर 180 डॉलर प्रति टन किये जाने के बाद बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सीपीओ सहित अन्य सभी तेल कीमतों में सुधार आया।

बाजार सूत्रों ने कहा कि हाल ही में सरकार ने सीपीओ के आयात शुल्क को 11 प्रतिशत (सरचार्ज समेत) घटाया है। यानी 95 डॉलर की कमी की है लेकिन खाद्य तेल के भाव में नरमी की उम्मीद पूरी नहीं हुई क्योंकि इंडोनेशिया में निर्यात और लेवी को पहले के 58 डॉलर से काफी अधिक बढ़ा दिया गया है। इसका असर मलेशिया एक्सचेंज पर भी आया जहां सीपीओ के दाम चढ़ गये।

सूत्रों ने कहा कि पहले इंडोनेशिया का निर्यात शुल्क केवल तीन डॉलर था जिसे बढ़ाकर 33 डॉलर किया गया। जबकि लेवी को पहले के 55 डॉलर से बढ़ाकर 180 डॉलर कर दिया गया। दोनों शुल्क को मिला दिया जाये, तो इंडोनेशिया में शुल्कों में 155 डॉलर की वृद्धि की है।

उन्होंने कहा कि इस मूल्य वृद्धि के कारण पाम तेल कीमतों में तेजी आई। सूत्रों ने कहा कि अभी सरकार के आयात शुल्क कम करने पर जिस तरह का रुख इंडोनेशिया ने दिखाया है वह हमारे लिए एक संकेत हो सकता है कि हम तेल-तिलहन के मामले में आयात पर निर्भरता को खत्म करने के लिए देशी तेल तिलहनों के उत्पादन को बढ़ायें।

सूत्रों ने कहा कि इंडोनेशिया और मलेशिया में सीपीओ का भंडार जमा है और उनके पास तेल को रखने की जगह नहीं है। लेकिन वहां इन तेलों की कीमतें लगातार बढ़ाई जा रही है। दूसरी ओर भारत में, जहां यह देश अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 70 प्रतिशत आयात पर निर्भर है, वहां इन तेलों के भाव वायदा कारोबार में आठ प्रतिशत नीचे कैसे चल रहा है। इस बात को सरकार को संज्ञान में लेना होगा। इस बेपड़ता कारोबार की वजह से ही देश का तिलहन उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।

वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की मांग होने से विदेशी बाजारों में तेजी है। लेकिन देश में इंदौर के एनसीडीईएक्स के वायदा कारोबार में फरवरी डिलिवरी अनुबंध का भाव 105 रुपये किलो है। जबकि इसके आयात का खर्च सारे शुल्क और मुनाफा मिलाकर 115 रुपये किलो बैठता है। वायदा कारोबार में भाव नीचा चलाये जाने से सोयाबीन डीगम सहित सोयाबीन के बाकी तेल कीमतों में भी गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि ऊंचे दाम पर मांग न होने से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई। सूत्रों ने कहा कि देश में हल्के तेलों की मांग के कारण सरसों दाना सहित और इसके तेल की कीमतों में सुधार आया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की मांग बढ़ने के बीच देश में दिसंबर, जनवरी, फरवरी के दौरान करीब सात लाख टन प्रति माह की खपत को देखते हुए इन तीन महीनों में लगभग 20 लाख टन सरसों की जरूरत आने की संभावना है। इसलिए सहकारी संस्था हाफेड और नाफेड को सरसों के बचे खुचे स्टॉक को संभाल कर रखना चाहिये और कम कीमत पर इनकी बिकवाली पूरी तरह रोकनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि सटोरियों ने नाफेड और हाफेड के बचेखुचे सरसों को हड़पने के लिए वायदा कारोबार में भाव हाजिर भाव के मुकाबले 335 रुपये क्विन्टल नीचे चला रखा है।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूरजमुखी बीज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 15 प्रतिशत नीचे बिक रहा है। इस वजह से जो फसल हर दो माह में आया करती थी, वह प्रभावित हुई है। इसे भी गंभीरता से देखने की आवश्यकता है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली दाना और मूंगफली गुजरात के भाव पिछले सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले 80 रुपये और 500 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 5,385-5,435 रुपये और 13,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 60 रुपये की हानि के साथ 2,100-2,160 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि दूसरी ओर सरसों दाना और सरसों दादरी तेल के भाव क्रमश: 40 रुपये और 150 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 6,225-6,275 रुपये और 12,350 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सरसों पक्की और कच्ची घानी के भाव भी क्रमश: 15-15 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 1,885-2,035 रुपये और 2,005-2,115 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

वायदा कारोबार में भाव नीचा चलाये जाने से वैश्विक स्तर पर मांग होने के बावजूद सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 150 रुपये, 150 रुपये और 160 रुपये की गिरावट दर्शाते क्रमश: 11,600 रुपये, 11,300 रुपये और 10,370 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सोयाबीन दाना और सोयाबीन लूज के भाव पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर ही बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क घटाने के बाद इंडोनेशिया में निर्यात शुल्क और लेवी बढ़ाये जाने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला की कीमतें भी क्रमश: 80 रुपये, 150 रुपये और 50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 9,000 रुपये, 10,500 रुपये और 9,600 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं।

वायदा कारोबार में भाव नीचा होने के कारण बिनौला तेल की कीमत समीक्षाधीन सप्ताह में 50 रुपये की गिरावट दर्शाती 10,100 रुपये क्विन्टल पर बंद हुई।

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Web Title: Last week mustard, CPO, improvement in palmolein, decline in groundnut, soybean and cottonseed

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