आयकर विभाग ने भारी लेनदेन वाले लोगों की पहचान की, स्वैच्छिक स्वीकारोक्ति के लिए शुरू होगा ई-अभियान
By भाषा | Updated: July 18, 2020 21:48 IST2020-07-18T21:48:42+5:302020-07-18T21:48:42+5:30
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि आकलन वर्ष 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने और संशोधित करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2020 है। विभाग करदाताओं की सुविधा के लिए स्वैच्छिक स्वीकारोक्ति को लेकर 20 जुलाई से ई-अभियान शुरू करेगा।

विभाग ने बताया कि 11 दिनों तक चलने वाला ई-अभियान 31 जुलाई 2020 को खत्म होगा। (file photo)
नई दिल्लीः आयकर विभाग ने शनिवार को कहा कि उसने कुछ ऐसे लोगों की पहचान की है, जिन्होंने काफी मोटा लेनदेन करने के बावजूद आकलन वर्ष 2019-20 (वित्त वर्ष 2018-19 के संदर्भ में) के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया है या उनके रिटर्न में कमियां हैं।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि आकलन वर्ष 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने और संशोधित करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2020 है। विभाग करदाताओं की सुविधा के लिए स्वैच्छिक स्वीकारोक्ति को लेकर 20 जुलाई से ई-अभियान शुरू करेगा।
सीबीडीटी ने कहा कि डेटा विश्लेषण से कुछ ऐसे करदाताओं के बारे में पता चला है, जिन्होंने काफी अधिक लेनदेन किया है, लेकिन उन्होंने आकलन वर्ष 2019-20 (वित्त वर्ष 2018-19 के संदर्भ में) के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया है।
रिटर्न फाइल करने वाले कई ऐसे लोगों की पहचान हुई
रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों के अलावा रिटर्न फाइल करने वाले कई ऐसे लोगों की पहचान हुई है, जिनके अधिक धनराशि वाले लेनदेन और उनके आयकर रिटर्न आपस में मेल नहीं खाते हैं। विभाग ने बताया कि 11 दिनों तक चलने वाला ई-अभियान 31 जुलाई 2020 को खत्म होगा और इस दौरान उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिन्होंने या तो रिटर्न दाखिल नहीं किया है, या उनके रिटर्न में विसंगतियां हैं।
बयान के मुताबिक ई-अभियान योजना के तहत आयकर विभाग चिन्हित लोगों को ईमेल या एसएमएस भेजेगा, ताकि प्राप्त सूचना के अनुसार उनके लेनदेन का सत्यापन किया जा सके। आयकर विभाग को यह सूचना वित्तीय लेनदेन विवरण (एसएफटी), स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस), स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) और विदेश से धनप्राप्ति (फार्म 15सीसी) जैसे दस्तावेजों से मिली है।
सीबीडीटी ने कहा कि ई-अभियान का मकसद करदाताओं को कर या वित्तीय लेनदेन संबंधी जानकारी को ऑनलाइन सत्यापित करने में मदद करना और स्वैच्छिक स्वीकारोक्ति को बढ़ावा देना है।