भारतीय कंपनियों ने 2019 में बाजार से जुटाये 8.7 लाख करोड़ रुपये, बांड से धन जुटाने को तरजीह

By भाषा | Updated: December 29, 2019 20:22 IST2019-12-29T20:22:29+5:302019-12-29T20:22:29+5:30

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में इक्विटी पूंजी बाजार के सह-प्रमुख गौरव सूद ने कहा कि नये साल में भी बांड बाजारों के लिये अच्छी मांग की उम्मीद है। इसका कारण देश में ब्याज दर में कमी और आरबीआई द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिये विदेशों से कर्ज (ईसीबी) को ज्यादा आकर्षक बनाना है। आरबीआई ने जो बदलाव किये हैं, उसमें परिपक्वता अवधि और अंतिम उपयोग नियम शामिल हैं।

Indian companies raise Rs 8.7 lakh crore from market in 2019, prefers to raise money from bond | भारतीय कंपनियों ने 2019 में बाजार से जुटाये 8.7 लाख करोड़ रुपये, बांड से धन जुटाने को तरजीह

भारतीय कंपनियों ने 2019 में बाजार से जुटाये 8.7 लाख करोड़ रुपये, बांड से धन जुटाने को तरजीह

Highlightsइससे पिछले साल कुल 7.25 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई जिसमें छह लाख करोड़ रुपये रिण बाजार से, 79,300 करोड़ रुपये से अधिक राशि इक्विटी जारी कर और 46,500 करोड़ रुपये के करीब राशि विदेशी बाजार से जुटाई गई। कोष जुटाने का कारण मुख्य रूप से व्यापार विस्तार योजनाओं को लागू करना, कर्ज के भुगतान तथा कार्यशील पूंजी जरूरतों को पूरा करना था।

भारतीय कंपनियों के लिये कोष जुटाने के लिहाज से यह साल अच्छा रहा। कंपनियों ने 2019 में घरेलू और विदेशी बाजारों से 8.7 लाख करोड़ रुपये जुटाये। पिछले साल के मुकाबले यह 20 प्रतिशत अधिक रहा है। वर्ष के दौरान कारोबार से जुड़े कार्यों के लिये वित्त जुटाने के मामले में बॉंड से धन जुटाना सबसे पसंदीदा जरिया रहा। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि वर्ष 2020 में कोष जुटाने का परिदृश्य बाजार की स्थिति, आर्थिक वृद्धि, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और केंद्रीय बजट में किये जाने वाले उपायों पर निर्भर करेगा।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में इक्विटी पूंजी बाजार के सह-प्रमुख गौरव सूद ने कहा कि नये साल में भी बांड बाजारों के लिये अच्छी मांग की उम्मीद है। इसका कारण देश में ब्याज दर में कमी और आरबीआई द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिये विदेशों से कर्ज (ईसीबी) को ज्यादा आकर्षक बनाना है। आरबीआई ने जो बदलाव किये हैं, उसमें परिपक्वता अवधि और अंतिम उपयोग नियम शामिल हैं। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार जुटाये गये कुल 8.68 लाख करोड़ रुपये में से 6.2 लाख करोड़ रुपये भारतीय बांड बाजार से जुटाये गये। वहीं 1.2 लाख करोड़ रुपये विदेशों में बांड जारी कर तथा शेष 1.25 लाख करोड़ रुपये इक्विटी बाजार से जुटाये गये।

इससे पिछले साल कुल 7.25 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई जिसमें छह लाख करोड़ रुपये रिण बाजार से, 79,300 करोड़ रुपये से अधिक राशि इक्विटी जारी कर और 46,500 करोड़ रुपये के करीब राशि विदेशी बाजार से जुटाई गई। कोष जुटाने का कारण मुख्य रूप से व्यापार विस्तार योजनाओं को लागू करना, कर्ज के भुगतान तथा कार्यशील पूंजी जरूरतों को पूरा करना था। आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिये जो राशि जुटायी गयी, वह प्रवर्तकों के पास हिस्सेदारी बिक्री के एवज में गयी। आंकड़ों के अनुसार घरेलू बांड बाजार से जुटाये गये 6.2 लाख करोड़ रुपये में से 6 लाख करोड़ रुपये निजी नियोजन आधार पर तथा 16,425 करोड़ रुपये सार्वजनिक निर्गम के जरिये प्राप्त हुये।

विजय कुमार ने कहा कि बांड के जरिये कोष जुटाने को तरजीह दी गयी। इसका कारण ब्याज दर में नरमी है। 10 साल की परिपक्वता अवधि वाले बांड पर प्रतिफल 6.9 प्रतिशत के आसपास है। ऐसे में कर्ज जुटाना आकर्षक है और अतिरिक्त नकदी होने के कारण अच्छी कंपनियों के लिये कोष जुटाना सरल होता है। इक्विटी मामले में मौजूदा शेयरधारकों को राइट इश्यू के जरिये जारी शेयरों की मदद से 52,000 करोड़ रुपये, पात्र संस्थागत नियोजन के माध्यम से 35,238 करोड़ रुपये, शेयर बाजारों में बिक्री पेशकश के जरिये 25,811 करोड़ रुपये तथा आईपीओ से 12,975 करोड़ रुपये जुटाये गयें।

चालू वित्त वर्ष में अब तक बड़ी कंपनियों ने 16 आईपीओ के जरिये 12,365 करोड़ रुपये जबकि एसएमई (लघु एवं मझोले उद्यम) आईपीओ के जरिये 610 करोड़ रुपये जुटाये। वहीं 2018 में बड़े आईपीओ से 30,959 करोड़ रुपये और एसएमई वर्ग के आईपीओ के जरिये 2,287 करोड़ रुपये जुटाये गये थे। इंडिया निवेश रिनेसेंस फंड के मुख्य निवेश अधिकारी श्रीधर रामचंदन ने कहा, ‘‘आईपीओ के जरिये कोष जुटाने में कमी का कारण बाजार में नकारात्मक धारणा का होना, कम मूल्यांकरन के साथ उन इक्विटी निवेशकों के पास नकदी की कमी शामिल हैं जो अपने पोर्टफोलियो में नुकसान में चल रहे है।’’

इसके साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश की वजह से भी प्रणाली में निवेशकों के पास नकदी की तंगी है। अगले साल की स्थिति के बारे में विजयकुमार ने कहा कि वर्ष 2020 में कोष जुटाने का परिदृश्य बाजार की स्थिति, आर्थिक वृद्धि, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और केंद्रीय बजट पर निर्भर करेगा। 

Web Title: Indian companies raise Rs 8.7 lakh crore from market in 2019, prefers to raise money from bond

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